आजकल दलितों और पिछड़ों के कुछ तथाकथित स्वयंभू नेताओं ने यह झूठा भ्रम फैलाना शुरू किया है कि - राम मंदिर निर्माण का आन्दोलन "मंडल आयोग" को अप्रभावी करने के लिए शरू किया गया था जबकि राम मंदिर आन्दोलन तब से चला आ रहा है जब मंडल आयोग तो क्या , विन्देश्वरी प्रसाद मंडल के पडदादा के पडदादा भी पैदा नहीं हुए थे.
मंडल मुद्दा तो वी.पी. सिंह ने राम मंदिर आन्दोलन के नाम पर एकजुट हो रहे हिन्दुओं को तोड़ने के लिए पैदा किया था. साक्ष्यों के अनुसार त्रेता युग के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सर्व प्रथम उज्जैन के सम्राट वीर विक्रमादित्य (विक्रम-वेताल बाले) ने लगभग 2100 साल पहले किया था. (उसकी कथा कभी विस्तार से अलग से एक पोस्ट बनाकर लिखूंगा)
अपने आपको गाजी कहलाने के लिए दूसरों के धर्मस्थलों को नष्ट करना इस्लाम में बहुत शबाब वाला काम माना जाता रहा है. अनेकों इस्लामी हमलावरों ने भारत में धार्मिक स्थलों को नष्ट किया या नष्ट करने का प्रयास किया. बाबर से पहले "सालार मसूद" ने भी अयोध्या विध्वंश का प्रयास किया था लेकिन बहराइच की लड़ाई में मारा गया.
बाबर ने अपने सेनापति मीरबाक़ी को तोपखाने के साथ अयोध्या विध्वंश के लिए भेजा. मीरबाक़ी ने 1528 ईश्वी में इस पर कब्जा करने हेतु हमला किया. इस्लामी आक्रमणकारियों से मंदिर को बचाने के लिए रामभक्तों ने 15 दिन तक लगातार संघर्ष किया. मंदिर पर कब्ज़ा न कर पाने पर, मंदिर को तोपों से उड़ा दिया गया.
इस संघर्ष में लगभग 1,76,000 राम भक्त मारे गए. मीरबाक़ी ने उस जगह पर एक मस्जिद का निर्माण किया और हिन्दुओं को अपमानित अपने राजा बाबर के एक गिल्मे "बाबरी" के नाम पर मस्जिद का नाम "बाबरी मस्जिद" रख दिया. मुघल शासन से लेकर अंग्रेजी शासन तक हिन्दू वहां पर फिर से भव्य मंदिर के निर्माण के लिए संघर्ष करते रहे.
1528 से 1949 तक के कालखंड में श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण हेतु 76 संघर्ष/युद्ध हुए. आजादी के बाद कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने मंदिर के द्वार पर ताले लगा दिए, लेकिन एक पुजारी को दिन में दो बार ढांचे के अंदर जाकर दैनिक पूजा और अन्य अनुष्ठान संपन्न करने की अनुमति दी.
श्रद्धालुओं को केवल तालाबंद द्वार तक जाकर दर्शन की अनुमति थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्री दाऊ दयाल खन्ना ने मार्च, 1983 में मुजफ्फरनगर में संपन्न एक हिन्दू सम्मेलन में अयोध्या, मथुरा और काशी के स्थलों को फिर से अपने अधिकार में लेने हेतु हिन्दू समाज का प्रखर आह्वान किया.
उस समय देश के दो बार के अंतरिम प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा भी मंच पर उपस्थित थे. उसके बाद विश्व हिन्दू परिषद् मंदिर अभियान में सक्रीय हो गई. अप्रैल, 1984 में विश्व हिन्दू परिषद् ने विज्ञान भवन (नई दिल्ली) में आयोजित पहली धर्म संसद ने जन्मभूमि के द्वार से ताला खुलवाने हेतु जनजागरण यात्राएं करने का प्रस्ताव पारित किया.
विश्व हिन्दू परिषद् ने अक्तूबर, 1984 में जनजागरण हेतु सीतामढ़ी से दिल्ली तक राम-जानकी रथ यात्रा शुरू की लेकिन श्रीमती इंदिरा गांधी की निर्मम हत्या के चलते एक साल के लिए यात्राएं रोकनी पड़ी थीं. अक्तूबर, 1985 में रथ यात्राएं पुन: प्रारंभ हुईं. इन रथ यात्राओं से हिन्दू समाज में प्रबल उत्साह का जागरण हुआ .
फैजाबाद के जिला दंडाधिकारी ने 1- फरवरी, 1986 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के द्वार पर लगा ताला खोलने का आदेश दिया. उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे श्री वीर बहादुर सिंह और देश के प्रधानमंत्री थे श्री राजीव गांधी. जनवरी-1989 में प्रयागराज में कुंभ मेले के पवित्र अवसर पर त्रिवेणी के किनारे विश्व हिन्दू परिषद् ने धर्म संसद का आयोजन किया.
धर्म संसद में तय किया गया कि - देश के हर मंदिर- हर गांव में रामशिला पूजन कार्यक्रम आयोजित किया जाए . पहली शिला का पूजन श्री बद्रीनाथ धाम में किया गया. देश और विदेश से ऐसी 2,75,000 रामशिलाएं अक्तूबर, 1989 के अंत तक अयोध्या पहुंच गईं. इस कार्यक्रम में लगभग 6 करोड़ लोगों ने भाग लिया.
9 नवम्बर, 1989 को बिहार के वंचित वर्ग के एक बंधु श्री कामेश्वर चौपाल द्वारा शिलान्यास किया गया. उस समय श्री नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और प्रधानमंत्री थे श्री राजीव गांधी. इसके बाद देश में राजनैतिक घटनाक्रम बदला और केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह और उ.प्र. में मुलायम सिंह की सरकार बन गई.
24 जून, 1990 को संतों ने 30 अक्तूबर 1990 से मंदिर निर्माण हेतु कारसेवा शुरू करने का आह्वान किया. 30 अक्तूबर 1990 को हजारों रामभक्तों ने मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खड़ी की गईं अनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया.
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अब बात करते हैं मंडल आयोग की :
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जनता पार्टी की सरकार के समय इंदिरा गांधी के उकसाने पर चौधरी चरण सिंह ने श्री बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की अध्ययक्षता में एक आयोग बनाया जिसका काम सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ों की पहचान करना था. लेकिन सन 1980 में इंदिरा सरकार आ जाने के कारण मंडल रिपोर्ट को ठन्डे बसते में डाल दिया गया.
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अब बात करते हैं मंडल आयोग की :
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जनता पार्टी की सरकार के समय इंदिरा गांधी के उकसाने पर चौधरी चरण सिंह ने श्री बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की अध्ययक्षता में एक आयोग बनाया जिसका काम सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ों की पहचान करना था. लेकिन सन 1980 में इंदिरा सरकार आ जाने के कारण मंडल रिपोर्ट को ठन्डे बसते में डाल दिया गया.
राजीव गांधी सरकार में भी यह रिपोर्ट ठन्डे बसते में रही. 2 दिसंबर 1989 को वी.पी. सिंह प्रधान मंत्री बने. वी. पी. सिह की सरकार भी भाजपा के समर्थन से बनी थी और भाजपा को कमजोर करने के इरादे से वी.पी. सिंह ने राम मंदिर के नाम पर एकजुट हो रहे हिन्दुओं को तोड़ने के लिए मंडल आयोग की रिपोर्ट आगे कर देश में आग लगवा दी.
इसके बाद देश में जातीय हिंसा और अराजकता का दौर शुरू हो गया. अब आप खुद ही फैसला कीजिए और बताइये कि मंडल आयोग को दबाने के लिए राम मंदिर आन्दोलन शुरू हुआ था अथवा राम मंदिर के नाम पर एक जुट हो रहे हिन्दुओं को तोड़ने के लिए मंडल आयोग की रिपोर्ट ठन्डे बस्ते से बाहर निकाली गई थी.
* मार्च-1983 जब मुजफ्फर नगर में कांग्रेसी नेता श्री दाऊ दयाल खन्ना ने अयोध्या, मथुरा और काशी को मुक्त कराने की बात की थी, तब कौन से मंडल आयोग को अप्रभावी बनाने के लिए की थी ?
* अप्रैल, 1984 में विश्व हिन्दू परिषद् ने राम जन्मभूमि का ताला खुलवाने के लिए जन जागरण यात्राएं शुरू की थीं तो तब कौन से मंडल आयोग को अप्रभावी बनाने के लिए की थी ?
* 1- फरवरी, 1986 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के द्वार पर लगा ताला खोलने का आदेश दिया गया तब कौन से मंडल आयोग को अप्रभावी बनाने के लिए की था ?
* जनवरी-1989 में प्रयागराज रामशिला पूजन का निर्णय लिया गया था तब कौन से मंडल आयोग को अप्रभावी बनाने के लिए की था ?
* 9- नवम्बर, 1989 को बिहार के वंचित वर्ग के एक बंधु श्री कामेश्वर चौपाल द्वारा शिलान्यास किया गया, तब कौन से मंडल आयोग को अप्रभावी बनाने के लिए की था ?
अब आप खुद ही फैसला कीजिए और बताइये कि मंडल आयोग को दबाने के लिए राम मंदिर आन्दोलन शुरू हुआ था अथवा राम मंदिर के नाम पर एक जुट हो रहे हिन्दुओं को तोड़ने के लिए मंडल आयोग की रिपोर्ट ठन्डे बस्ते से बाहर निकाली गई थी.
पिछड़ों को मँडल याद रहेगा वी पी सिंह तेरा एहसान रहेगा।
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