गुलामी के समय बदले गए भारत के शहरो / इमारतों का पुराना नाम बहाल किया जाए
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इस्लामी आक्रमणकारियों और अंग्रेज सौदागरों ने भारत पर अवेद्ध कब्जा किया था. कब्जा करने के बाद उन्होंने यहां की संस्क्रति को नष्ट करने के लिए भारत के प्राचीन शहरो, इमारतों और मार्गो को नष्ट किया. जिनको वो नष्ट नहीं कर सके उनका नाम उन्होंने अपने नाम पर रख दिया, जिससे कुछ सौ साल बाद लोग उसे उनके द्वारा बनबाया हुआ मानने लग जाएँ.
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इस्लामी आक्रमणकारियों और अंग्रेज सौदागरों ने भारत पर अवेद्ध कब्जा किया था. कब्जा करने के बाद उन्होंने यहां की संस्क्रति को नष्ट करने के लिए भारत के प्राचीन शहरो, इमारतों और मार्गो को नष्ट किया. जिनको वो नष्ट नहीं कर सके उनका नाम उन्होंने अपने नाम पर रख दिया, जिससे कुछ सौ साल बाद लोग उसे उनके द्वारा बनबाया हुआ मानने लग जाएँ.
देश आजाद होने के बाद उम्मीद थी कि - ऐसे नामो को बदल दिया जाएगा, लेकिन सत्ता ऐसे हाथों में चली गई जो कहने को तो भारतीय थे, मगर उनको भारतीय संस्क्रति से कोई लगाव नहीं था. इसके अलावा वोटबैंक के लालच ने भी उनको ऐसा करने से रोके रखा. राष्ट्रवादियों की सरकार आने के बाद, अब भारत के प्राचीन गौरव को लौटाने का काम शुरू हो चुका है
हम सरकार से मांग करते हैं कि - भारत के ऐसी सभी शहरो, इमारतों और मार्गो का नाम वापस, पहले वाला नाम किया जाए, जैसे - अहमदाबाद को "कर्णावती", इलाहाबाद को "प्रयाग", फैजाबाद को "साकेत", लखनऊ को "लक्ष्मणपुर", जलालाबाद को "परशुराम पूरी", औरंगाबाद को "संभाजी नगर", दिल्ली को "इन्द्रप्रस्थ", भोपाल को "भोजपाल" आदि में.
इसी तरह जी. टी. रोड का नाम "सम्राट चन्द्रगुप्त मार्ग", क़ुतुबमीनार को "ध्रुव स्तम्भ", ताजमहल को "तेजोमहालय", लालकिला को "लालकोट", अढाई दिन का झोपड़ा को "सरस्वति मंदिर", औरंगजेब मार्ग को "गुरु तेग बहादुर मार्ग", आदि, रखा जाना चाहिए
इसके अलाबा उन हमलावरों द्वारा बनाई गई विक्टोरिया मेमोरियल जैसी इमारतों को भी "भारत माता मंदिर" आदि में परिवर्तित कर देना चाहिए. अंग्रेज राजा जार्ज पंचम की प्रसस्ति को जो भारत का राष्ट्रगान बना रखा है उसको भी बदल दिया जाना चाहिए तथा किसी राष्ट्रभक्ति की भावना वाले गाने को "राष्ट्रगान" घोषित किया जाना चाहिए.
क्या पुरी दुनिया में कहीं भी भारत से प्राचीन - इमारते, साहित्य, शिलालेख आदि हैं ? जो मुघल और अंग्रेज, अपने मूल इलाको में रहने लायक घर भी नहीं बना पाए थे उनके बस का नहीं था कि- यहाँ भारत में आते ही इमारते खडी कर देते है. उन हमलावरों ने कायर हिन्दुओं कोमुसलमान या ईसाई बनाने के अलावा और कुछ नहीं बनाया है.
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