आजकल कुछ तथाकथित बुद्धिमान (?) लोग खलनायक 'रावण' को नायक बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. वो लोग कहते हैं कि - रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए अपना राज, वंश और प्राण तक लुटा दिए जबकि हकीकत यह है कि - रावण जैसे कायर का उदाहरण इतिहास में मिलना मुश्किल है. एक शक्तिशाली सम्राट द्वारा, दो साधारण वनवाशियों से बहन के अपमान का बदला लेने का, इससे ज्यादा कायरतापूर्ण कार्यवाही का कोई दुसरा उदाहरण नहीं मिलेगा .
क्या राम की पत्नी को धोखे से किडनैप करके शादी कर लेने से, बहन का बदला पूरा हो जाता ? रावन और उसकी बहन दोनों को बहुत जोर से शादी लगी हुई थी , सूर्पनखा ने जब राम को देखा तो उनसे शादी करने के लिए कहने लगी और जब राम ने मना कर दिया तो लक्षमण के पीछे पड गई. जब दोनों ने मनाकर दिया तो सीता को मारने की कोशिश की. ऐसे ही जब रावण से सीता को देखा तो अपनी बहन का बदला भूलकर सीता से शादी करने की सोंचने लगा.
रावण जैसा कायर भाई , जो गया था बहन का बदला लेने और शक्तिशाली सम्राट होते हुए भी साधारण वनवाशियों का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया . राम से लड़ने के बजाय छल से उनकी पत्नी का किडनैप करके ले गया . किडनैप करने के बाद भी राम को बलैक्मेल करके भी बदला लेने तक की हिम्मत नहीं हुई . सीता को देखने के बाद बहन का बदला भूल कर, पुत्र से छोटी उम्र की पराई स्त्री से शादी करने की सोंचने लगा .
जबकि राम ने बिना संसाधन के केवल अपने व्यवहार और प्रताप के दम पर दोस्त बनाए और रावण पर आक्रमण किया, उसके लिए समुद्र तक पर पुल बना दिया. युद्ध में भी रावण एक एक कर अपने सब रिश्तेदारों को लड़ने-मरने भेजता रहा और खुद सबसे बाद में गया. राम को केवल इसलिए भगवान् माना जाता है कि - उन्होंने बिना अपनी खुद की सेना और संसाधन के शक्तिशाली सम्राट से टकराने की हिम्मत की और विजयी भी हुए .

रावन ने तो राम से बदला लेने की तो कभी कोशिश ही नहीं की थी , वो तो राम की पत्नी से शादी करने की कोशिश में लग गया . ऐसे अनैतिक लोगों का पतन निश्चित रूप से होना ही था . रावण का महिमा मंडन करने वाले भी वो लोग हैं जो सदैव राम के आस्तित्व को नकारने में लगे रहते है, वो ये कैसे भूल जाते हैं कि - अगर आप रावण को महिमामंडित करते हैं तो "राम" का आस्तित्व तो आप खुद स्वीकार कर रहे होते हैं .
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