"रक्षा बंधन" के पवित्र पर्व पर सभी भाई बहनों को हार्दिक शुभकामनाये
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दुनिया में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां भाई बहन के पवित्र रिश्ते को और भी मजबूत बनाने के लिए रक्षा बंधन जैसा त्यौहार मनाया जाता है. रक्षा बंधन भाई - बहन के प्रेम के नवीनीकरण का पर्व है. इसके अलावा यह त्यौहार यह प्रेरणा भी देता है कि - पराई स्त्रियों में भी अपनी बहन का स्वरूप ही देखें. सगे भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस पर्व से बँधे होते हैं, जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं.
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दुनिया में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां भाई बहन के पवित्र रिश्ते को और भी मजबूत बनाने के लिए रक्षा बंधन जैसा त्यौहार मनाया जाता है. रक्षा बंधन भाई - बहन के प्रेम के नवीनीकरण का पर्व है. इसके अलावा यह त्यौहार यह प्रेरणा भी देता है कि - पराई स्त्रियों में भी अपनी बहन का स्वरूप ही देखें. सगे भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस पर्व से बँधे होते हैं, जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं.
रक्षाबन्धन पर्व सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता या एकसूत्रता का सांस्कृतिक उपाय रहा है. विवाह के बाद बहन पराये घर में चली जाती है परन्तु इस त्यौहार के बहाने प्रतिवर्ष अपने सगे ही नहीं रिश्तों के भाइयों और मुह्बोले भाइयों को भी उनके घर जाकर राखी बाँधती है. इस प्रकार अपने रिश्तों का नवीनीकरण करती रहती है. दो परिवारों का और कुलों का पारस्परिक मिलन होता है. इस प्रकार जो कड़ी टूट गयी है उसे फिर से जागृत किया जाता है.
रक्षाबंधन एक भारतीय त्यौहार है जो श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाती हैं. पहले अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है, इसके बाद रोली या हल्दी से भाई का टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है, उसकी आरती उतारी जाती है, दाहिनी कलाई पर राखी बाँधी जाती है, तत्पश्चात भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं.
राखी सामान्यतः बहनें भाईयों को बाँधती हैं , परन्तु ब्राह्मणों, गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों द्वारा भी सम्मानित सम्बन्धियों (जैसे - पुत्री द्वारा पिता आदि ) को भी राखी बाँधने का प्रचलन है. अब तो प्रकृति संरक्षण हेतु वृक्षों को राखी बाँधने की परम्परा भी प्रारम्भ हो गयी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पुरुष सदस्य भी परस्पर भाईचारे एवं एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना को बढाने के लिये एक दूसरे को भगवा रंग की राखी बाँधते हैं.
रक्षाबन्धन आत्मीयता और स्नेह के बन्धन से रिश्तों को मज़बूती प्रदान करने का पर्व है. इसका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भी एकसूत्रता और भाईचारा को बढ़ाना है. बहने भी अपने भाइयों को ऐसी प्रेरणा दे कि उनके भाई अन्य स्त्रियों में उनका ही रूप देखें. आजकल महिलाओं की इज्ज़त भी केवल इसलिए ही खतरे में हैं क्योंकि - आजकल "रक्षाबंधन" के बजाय "वैलेंटाइन डे" का महत्त्व बढ़ गया है.
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