
*************************************************************************
श्याम कृष्ण वर्मा जी का जन्म 4 अक्टूबर1857 को, गुजरात प्रान्त के माण्डवी कस्बे में हुआ था. उनके पिता का नाम श्रीकृष्ण वर्मा था. वे स्वामी दयानंद सरस्वती और लोकमान्य तिलक से बहुत प्रभावित थे. वे क्रान्तिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे थे. इसलिए उनके पिता ने वकालत वकालत की पढ़ाई करने के लिए लन्दन भेज दिया.
वे अजमेर में वकालत करने लगे. अजमेर में वकालत के दौरान उन्होंने स्वराज पार्टी के लिये काम करना शुरू कर दिया. इसके अलावा मध्यप्रदेश के रतलाम और गुजरात के जूनागढ़ की रियासतों में कुछ समय दीवान रहकर भी उन्होंने जनहित के अनेको काम किये. उनको लगा कि लन्दन के शिक्षित भारतीयों को आजादी के लिए प्रेरित करना चाहिए.
1897 में वे पुनः इंग्लैण्ड चले गये. उन्होंने लन्दन में इण्डिया हाउस की स्थापना की जो इंग्लैण्ड में भारतीयों छात्रों के परस्पर मिलन एवं विविध विचार-विमर्श का एक प्रमुख केन्द्र था. उस समय यह संस्था क्रान्तिकारी छात्रों के जमावड़े के लिये प्रेरणास्रोत सिद्ध हुई. महान क्रान्तिकारी शहीद मदनलाल ढींगरा उनके प्रिय शिष्यों में से एक थे.

उन्होंने लॉर्ड कर्जन की ज्यादतियों के विरुद्ध लगातार संघर्ष किया. उन्होंने इंग्लैण्ड से मासिक समाचार-पत्र "द इण्डियन सोशियोलोजिस्ट" निकाला, जिसे आगे चलकर जिनेवा से भी प्रकाशित किया गया. सभी तत्कालीन क्रान्तिकारी उनका सम्मान करते थे.1918 के बर्लिन और इंग्लैण्ड के विद्या सम्मेलनों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था.

उनके जन्म स्थान पर, गुजरात सरकार ने "श्रीश्यामजी कृष्ण वर्मा मेमोरियल" बनबाया है जिसमे उनकी अस्थियाँ भी रखी गई हैं. कच्छ जाने वाले सभी देशी विदेशी पर्यटकों के लिये "माण्डवी का क्रान्ति-तीर्थ" एक उल्लेखनीय पर्यटन स्थल बन चुका है. जहां उनके अस्थि-कलशों का दर्शन करने दूर-दूर से देशभक्त आते हैं
No comments:
Post a Comment