"रक्षा बंधन के महापर्व" का पौराणिक और ऐतहासिक महत्त्व
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देवासुर संग्राम में दानव हावी होते जा रहे थे. इन्द्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया. उन लोगों का विश्वास था कि- इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे. उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा निरंतर चली आ रही है.
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देवासुर संग्राम में दानव हावी होते जा रहे थे. इन्द्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया. उन लोगों का विश्वास था कि- इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे. उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा निरंतर चली आ रही है.
विष्णु के वामन अवतार के समय, बिष्णू को सर्वस्व दान देने के बाद, बलि ने बिष्णु को अपना द्वारपाल बनाने का वरदान मांग लिया था. तब लक्ष्मी ने वलि को राखी बाँधकर, वलि अपना भाई बनाया तथा उपहार स्वरूप विष्णु को वरदान के बंधन से मुक्त कराया था. जिस दिन लक्ष्मी जी ने राजा बलि को राखी बाँधी उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी.
महाभारत में रक्षाबन्धन से सम्बन्धित कृष्ण और द्रौपदी का एक वृत्तान्त भी मिलता है. जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई थी उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी थी. श्री कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया था.
एक अन्य प्रसंगानुसार अलेक्जेंडर (सिकन्दर) की पत्नी ने अपने पति के, हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया था और अपने पति की प्राणरक्षा का वचन लिया था. युद्ध में एकबार सिकंदर को मारने की स्थति में होने के बाबजूद पुरूवास ने अपनी मुहबोली बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया था.
राखी के साथ एक प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है. मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली. उस समय रानी लड़ऩे में असमर्थ थी. तब उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर रक्षा की याचना की. हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँच कर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ाई लड़ी.
राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएँ उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ साथ हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी. इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा. भारत /पाक/चीन युद्ध के समय भी देश की महिलाओं ने सैनिको को राखी बाँध कर उनके विजयी होने की कामना की तथा उनका हौशला बढाया था.
"स्वतन्त्रता संग्राम" में भी इस पर्व का सहारा लिया गया था. रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने बंग-भंग का विरोध करने के लिए तथा लोगों में एकता का भाव जगाने के लिए, राखी का उपयोग किया था. संघ द्वारा मनाये जाने वाले 6 त्योहारों में एक त्यौहार रक्षा बंधन भी है. स्वयंसेवक एक दुसरे की कलाई में कलावा (मौली) बांधकर एक दुसरे की रक्षा का सकल्प लेते हैं.
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