Wednesday, 14 December 2016

बुर्ज फ़तेह ( चप्पड़चिडी)

आज अपने और अपनी बेटी के जन्मदिन के अवसर पर, बाबा बन्दा सिंह बहादुर का आशीर्वाद तथा उनके संघर्षमय जीवन से प्रेरणा लेने के लिए चप्पड़चिडी की जंग की स्मारक में हाजिरी लगाईं. अकाली भाजपा गठबंधन सरकार ने चप्पड़चिडी में बहुत ही शानदार स्मारक बनवाया है. जहाँ बाबा बन्दा सिंह बहादुर एवं उनके पाँचों जनरेलों की भव्य मूर्तियाँ स्थापित की है.
सबसे बड़ी चीज जो यहां बनाई गई है, वो है "बुर्ज फ़तेह". यह एक विशाल मीनार है जिसकी उंचाई, राजा वीर विक्रमादित्य द्वारा बनबाये गए ध्रुव स्तंम्भ से भी ज्यादा है. इसमें ऊपर तक जाने के लिए सीढियां है और अभी लिफ्ट लगाने का काम चल रहा है. इसके अलावा यहाँ पर्यटकों के लिए लाईट-साउंड शो भी बनाया जा रहा है. छोटा सा रेस्टोरेंट भी बनाया गया है.
बाबा बन्दा सिंह बहादुर का वास्तविक नाम लक्ष्मण देव था. गुरु गोविन्द सिंह से भेंट होने पर उनको जब, गुरु गोविन्द सिंह के परिवार की कुर्बानियों और मुघलों के जुल्म का पता चला, तो वे गुरु गोविन्द सिंह के आगे नतमस्तक हो गए. उन्होंने गुरु गोविन्द सिंह का शिष्य बनकर, गुरु परिवार और देशपर मुघलों के जुल्म का बदला लेने का संकल्प लिया था.
उन्होंने सरहंद के नवाब बजीर खान और उसकी सेना को हराकर सरहंद पर राज किया था. उन्होंने छोटे साहबजादों की शहादत का बदला लिया और गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा संकल्पित लोक राज्य की स्थापना की. उन्होंने गुरु गोबिन्द सिंह के नाम से सिक्का और मोहर जारी करके, निम्न वर्ग के लोगों की उच्च पद दिलाया और किसानो को जमीन का मालिक बनाया.
"चप्पड़ चिडी की जंग" का बहुत ही ऐतिहासिक महत्त्व है, लेकिन पंजाब के बाहर बहुत कम लोगों को ही इसके बारे में पता है. मैं शीघ्र ही "चप्पड़ चिडी की जंग" पर विस्तृत पोस्ट लिखने का प्रयास करूंगा. अपने बच्चो को ऐसी ऐतहासिक व गौरवशाली जगहों पर अवश्य ले के जाना चाहिए, जिससे उनके मन में भी महापुरुषो के प्रति सम्मान की भावना जाग्रत हो.

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