नरकासुर बध तथा भगवान् श्री कृष्ण की सोलह हजार एक सौ आठ पत्नियों का सच
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"प्रागज्योतिषपुर" नगर का राजा नरकासुर नामक एक अत्याचारी दैत्य था. वह बहुत ही शक्तिशाली था. अपनी शक्ति के मद में चूर होकर जनता पर अत्याचार करने लगा. उसके अत्याचार का सबसे बड़ी शिकार महिलाए होती थी. उसने सोलह हजार एक सौ लड़कियों का अपहरण कर के अपने यहाँ बंदी बनाकर रखा हुआ था.
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"प्रागज्योतिषपुर" नगर का राजा नरकासुर नामक एक अत्याचारी दैत्य था. वह बहुत ही शक्तिशाली था. अपनी शक्ति के मद में चूर होकर जनता पर अत्याचार करने लगा. उसके अत्याचार का सबसे बड़ी शिकार महिलाए होती थी. उसने सोलह हजार एक सौ लड़कियों का अपहरण कर के अपने यहाँ बंदी बनाकर रखा हुआ था.

उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए उसके नगरवासी श्रीकृष्ण से मदद मांगने पहुंचे. श्रीकृष्ण ने उनको मदद का आश्वासन दिया. इस युद्ध में श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की को अपना सारथी बनाया. उस दिन कार्तिक मास की चतुर्दशी (अर्थात दीपावली से एक दिन पहले) थी. दीपावली मनाने को भी इस घटना से भी जोड़ा जाता है.
इस उपलक्ष्य में दिवाली के एक दिन पहले 'नरक चतुर्दशी' मनाई जाती है. नरकासुर का बध करने के बाद श्रीकृष्ण ने सभी बंदी स्त्रियों को आजाद कराया. अपनी आजादी की ख़ुशी में महिलाओं ने रंगोली सजाकर और घी के दिए जलाकर श्रीकृष्ण का स्वागत किया. उन स्त्रियों ने श्रीकृष्ण से कहा कि- अब हमारा क्या होगा ?
क्योंकि अब हमारे घरवाले तो हमें अपनाएंगे नहीं. तब श्रीकृष्ण ने कहा कि- आज से तुम सबको मेरी पत्नी के रूप में जाना जाएगा और तुम्हारे भरणपोषण की जिम्मेदारी भी मेरी होगी. मेरा नाम जुड़ा होने के कारण कोई भी तुम्हारी और बुरी निगाह से देखने की हिम्मत नहीं करेगा. इसके अलावा मेरा तुम्हारा और कोई सम्बन्ध नहीं होगा.
श्री कृष्ण की पत्नियों की संख्या की बात करते समय उनकी 8 रानियों के अतिरिक्त उन सोलह हजार एक सौ स्त्रीयों की संख्या को भी जोड़ा जाता है. इसी नरकासुर के सेनापति मौर्व की पुत्री "मौर्वी" से भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह , श्री कृष्ण ने करवाया था.
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