वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1-जुलाई-1933 को, गाजीपुर (उ.प्र.) में एक साधारण दर्जी परिवार में हुआ था. बचपन से उनका पुस्तैनी काम में मन नहीं लगा और वे हमेशा एक सैनिक बनने का सपना देखते थे. वे 27- दिसम्बर-1954 में सेना में प्रविष्ट हुये और अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से सम्मान प्राप्त किया था. 1965 में पापिस्तान युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए परमवीर चक्र प्राप्त हुआ.

भारतीय सैनिकों की उस टुकड़ी के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार , लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला. भारतीय सैनिक अपनी साधारण "थ्री नॉट थ्री रायफल", और एल.एम्.जी. के साथ पैटर्न टैंकों का सामना करने लगे. हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास "गन माउनटेड जीप" जरूर थी, लेकिन वह भी "पैटर्न टैंकों" के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी.

देखते ही देखते पापिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई लेकिन भागते हुए पापिस्तानियों का पीछा करते "वीर अब्दुल हमीद" की जीप पर एक गोला गिर जाने से, वे बुरी तरह से घायल हो गए और अगले दिन 9-सितम्बर को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की अधिकृत घोषणा 10 -सितम्बर को की गई थी. इस युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया.
युद्ध में साधारण "गन माउनटेड जीप" के हाथों हुई "पैटर्न टैंकों" की बर्बादी को देखकर अमेरिका को पैटर्न टैंकों के डिजाइन की समीक्षा करनी पड़ी थी. टैंक विशेषज्ञों को यह पता लगाने को कहा गया कि - पैटर्न टैंको के डिजाइन में क्या कमी रह गई थी कि वे एक "गन माउनटेड जीप" का सामना नही कर सके. वो अमरीकी "पैटर्न टैंकों" के सामने केवल "गन माउनटेड जीप" जीप को ही देख रहे थे उसको चलाने वाले "वीर अब्दुल हमीद" को नहीं.

No comments:
Post a Comment