Wednesday, 14 December 2016

शहीद "वीर अब्दुल हमीद

वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1-जुलाई-1933 को, गाजीपुर (उ.प्र.) में एक साधारण दर्जी परिवार में हुआ था. बचपन से उनका पुस्तैनी काम में मन नहीं लगा और वे हमेशा एक सैनिक बनने का सपना देखते थे. वे 27- दिसम्बर-1954 में सेना में प्रविष्ट हुये और अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से सम्मान प्राप्त किया था. 1965 में पापिस्तान युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए परमवीर चक्र प्राप्त हुआ.
8- सितम्बर की रात में, 1965 में पापिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए. वीर अब्दुल हमीद पंजाब के "तारन तारण" जिले के खेमकरन सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे. पापिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले "अमेरिकन पैटर्न टैंकों" के साथ, "खेमकरन" सेक्टर के "असल उताड़" गाँव पर हमला कर दिया.
भारतीय सैनिकों की उस टुकड़ी के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार , लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला. भारतीय सैनिक अपनी साधारण "थ्री नॉट थ्री रायफल", और एल.एम्.जी. के साथ पैटर्न टैंकों का सामना करने लगे. हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास "गन माउनटेड जीप" जरूर थी, लेकिन वह भी "पैटर्न टैंकों" के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी.
वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटर्न टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया. उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया. वीर अब्दुल हमीद ने अपनी "गन माउनटेड जीप" से सात "पापिस्तानी पैटर्न टैंकों" को नष्ट किया था. देखते ही देखते भारत का "असल उताड़" गाँव "पापिस्तानी पैटर्न टैंकों" की कब्रगाह बन गया.
देखते ही देखते पापिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई लेकिन भागते हुए पापिस्तानियों का पीछा करते "वीर अब्दुल हमीद" की जीप पर एक गोला गिर जाने से, वे बुरी तरह से घायल हो गए और अगले दिन 9-सितम्बर को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की अधिकृत घोषणा 10 -सितम्बर को की गई थी. इस युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया.
युद्ध में साधारण "गन माउनटेड जीप" के हाथों हुई "पैटर्न टैंकों" की बर्बादी को देखकर अमेरिका को पैटर्न टैंकों के डिजाइन की समीक्षा करनी पड़ी थी. टैंक विशेषज्ञों को यह पता लगाने को कहा गया कि - पैटर्न टैंको के डिजाइन में क्या कमी रह गई थी कि वे एक "गन माउनटेड जीप" का सामना नही कर सके. वो अमरीकी "पैटर्न टैंकों" के सामने केवल "गन माउनटेड जीप" जीप को ही देख रहे थे उसको चलाने वाले "वीर अब्दुल हमीद" को नहीं.
अटल बिहारी बाजपेई जी की सरकार के समय सन 2000 में, वीर अब्दुल हमीद के सम्मान में, एक डाक टिकट जारी किया गया था, जिस पर उनके चित्र के साथ उनकी "गन माउंटेड जीप" को भी दिखाया गया था. कुछ बर्ष पहले उनकी पत्नी रसूल वी ने अपने पोतों के साथ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, जहाँ उन्हें राष्ट्र नायक की पत्नी होने के नाते भरपूर सम्मान दिया गया था .

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