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बीसवीं सदी में जहाँ दो बड़े महायुद्ध लड़े गए और परमाणु शस्त्र जैसे विनाशकारी हथियार को चलते देखा गया , वहीँ लड़ाई का एक नया और अचूक तरीका 'अहिंसक सत्याग्रह' भी दुनिया के सामने आया. गांधी जी ने "सत्य" और अहिंसा के सहारे "आग्रह" करने का जो तरीका निकाला उसको "सत्याग्रह" कहा गया . सत्याग्रह में कमजोर व्यक्ति भी ताकतबर के सामने अपनी आवाज उठाकर अपनी बात को शान्ति पूर्ण ढंग से मनवा सकता है .
दुनिया में हमेशा से सारे फैसले केवल लड़ाई और युद्ध से होते आये हैं, जो जीत गया वो सही और जो हार गया वो गलत. लेकिन गांधी जी ने दिखाया था कि - "कमजोर व्यक्ति भी सही हो सकता है" . आज सारी दुनिया ताकतवर के बिरोध के लिए, गांधी जी के सत्याग्रह को ही सबसे अचूक और आधुनिक अस्त्र मानती है. महात्मा गांधी की बिचारधारा के समर्थक न होते भी, कभी कोई क्रांतिकारी उनके रास्ते में रुकावट नहीं डालता था.
महात्मा गांधी की महानता के बारे में कोई सबाल नहीं उठाया जा सकता लेकिन केवल अपने आपको और अधिक महान दिखाने के लिए लिए गए विवादास्पद निर्णयों से महात्मा गांधी का उज्जवल जीवन पर, दाग भी दिखाई देता है. पाकिस्तान बनने पर पकिस्तान में हिंदुओं और सिक्खों पर होने वाले वाले अत्याचारों पर ख़ामोशी और हिदुस्थान में उसकी प्रतिक्रिया होने पर हिदुओं को बुरा भला कहना उनकी बहुत बड़ी गलती थी.
आजाद, भगत सिंह, सुभाष और उधम सिंह आदि के प्रति उनका वर्ताव भी देशभक्तों की नजर में उनको संदिग्ध बनाता है. चौरी चौरा में सैकड़ों सत्याग्रहियों के मारे जाने पर खामोश रहना और सत्याग्रहियों द्वारा 22 अंग्रेजी पुलिस वालो को ज़िंदा जलाने पर, सत्याग्रहियों की निंदा करते हुए आन्दोलन वापस लेना भी गांधी जी को विवादास्पद बनाता है. ब्रह्मचर्य पर उनके प्रयोग भी उनको निंदा का पात्र बनाते हैं.

गांधी जी जैसे महात्मा की हत्या एक बहुत ही दुखदाई घटना थी. बैसे भी मानव ह्त्या बहुत ही जघन्य अपराध है और गांधी जी की ह्त्या की भी निंदा की जानी चाहिए , लेकिन जरा सोंचो कि - अगर दस मील चौड़ा "पाकिस्तान-बंगलादेश" गलियारा बन गया होता तो हिन्दुस्थान की आज के हालात में क्या स्थिति होती ?
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