Wednesday, 14 December 2016

जातपात भुलाकर संगठित हो

जातपात भुलाकर संगठित हो और बिधर्मियों के बहकावे में आने से बचें
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हिन्दुओं में फूट डालने के लिए, गैर हिन्दू लोग जातिगत भेदभाव की बातों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर लिखते हैं. ये लोग कोशिश करते हैं कि -हिन्दू कभी संगठित न हों और आपस में लड़कर कमजोर होते रहे. जिससे कि - ये लोग हिन्दुओं के ऊपर राज करते रहे. इनका उद्देश्य हमारी किसी बुराई के बारे में बताकर उसको को ख़त्म करना नहीं बल्कि हमको आपस में लड़ाना है.
अक्सर बहुत सारे हिन्दू इनके झांसे में आ भी जाते हैं और असली शत्रु को न पहेचान कर अपने ही भाइयों से ही लड़ने लगते हैं. यही वो कारण है जिसकी बजह से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ लोगों पर मुट्ठीभर बिधर्मियों / लुटेरों / आक्रमणकारियों ने शासन किया है. आप अगर आज भी शत्रुओं की चाल से सावधान नहीं रहे तो ये शत्रु एक दिन आपको मिटाकर रख देंगे.
आप खुद कल्पना कीजिए कि - अकबर के शासनकाल में कितने प्रतिशत मुस्लिम होंगे या 1857 के समय देश में कितने प्रतिशत इसाई (अंग्रेज ) रहे होंगे. मगर यह लोग फिर भी बहुसंख्यक हिन्दुओं पर राज करते रहे क्योंकि हम एक होकर नहीं रहे. दुश्मनों की चालों में फंसकर आपस में ही लड़ते रहे. इन बातों से अब सावधान रहना होगा.
यदि किसी ऐसे मंदिर के बारे में पता चले कि- वहां जातिगत भेदभाव होता है तो उसकी सच्चाई का पता लगाये. यदि बात झूठ हो तो सबको उसकी असलियत बताएं. यदि सच हो तो उसे बंद कराएं अथवा उस मंदिर को मंदिर कहना बंदकर उसका बहिष्कार कर दें. बैसे मंदिरों में भेदभाव केवल उन बिधार्मियों या नास्तिकों को दिखता है जो कभी मंदिर जाते नहीं हैं.
आज आवश्यकता है कि हम अपने सारे भेदभाव ख़त्म कर संगठित हों. जाती का महत्त्व खानदानी पेशे से ज्यादा कुछ न हो. अंतरजातीय विवाह और अंतरजातीय मित्रता को बढ़ावा दें. विधार्मियों की चाल से सावधान रहें, यह आपके कोई सगे नहीं है और न ही इनको आपके हित की चिंता है. इनका उद्देश्य केवल आपको आपस में लड़ाकर कमजोर करना है.
अगर कोई बिधार्मी आपको भड़काए तो उनसे कहिये हम अपने मतभेद खुद सुलझा लेंगे. आप लोग अपना हिसाब -किताब ठीक करिए. हमको सीख देने वाले ये लोगों में तो खुद इतने मतभेद हैं कि - उसके लिए ये लोग एक दुसरे की जान के दुश्मन बने हुए हैं. अपने भेदभाव के चलते इनलोगों तो अनेकों देश के देश बर्बाद कर दिए हैं.

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