भारत माँ के सपूत "सरदार भगत सिंह" के जन्म दिवस (27/09) पर कोटि कोटि नमन
**********************************************************************************
सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 में हुआ था. उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था. यह एक सिख परिवार था, जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था. अमृतसर में हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था . लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी.
**********************************************************************************
सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 में हुआ था. उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था. यह एक सिख परिवार था, जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था. अमृतसर में हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था . लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी.

भाषा विवाद भी उनको विचलित करता था. भगतसिंह ने एक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में "पंजाब में भाषा और लिपि की समस्या" विषय पर "मतवाला" नाम की कलकत्ता से छपने वाली पत्रिका में लेख लिखा था, जिस पर उन्हें 50 रुपए का प्रथम पुरस्कार मिला था. भगतसिंह ने में लिखा था कि - पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी नहीं देवनागरी होनी चाहिए. भगत सिंह कई भाषाओं के जानकार थे , मगर वो सारे देश में एक ही लिपि ( देवनागिरी ) चाहते थे .
संपर्क में आने पर करतार सिंह साराभा ने भगत सिंह को महान देशभक्त "वीर सावरकर" की किताब "1857- प्रथम स्वतंत्रय समर " पढने के लिए दी, भगत सिंह इस किताब से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने इस किताब के और संस्करण छापने के लिए सहायता प्रदान की . जून 1924 में भगत सिंह, रत्नागिरी में , वीर सावरकर से मिले और क्रांति की पहली गुरुदीक्षा ग्रहण की, यही से भगत सिंह के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया.

तब इन लोगों ने पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट को मारने की योजना सोची. 7- दिसमबर 1928 को शाम 4 बजे, स्काट की जगह, ए० एस० पी० सॉण्डर्स के आते ही राजगुरु ने एक गोली सीधी उसके सर में मारी जिसके तुरन्त बाद वह होश खो बैठा. इसके बाद भगत सिंह ने 3 - 4 गोली दाग कर उसके मरने का पूरा इन्तज़ाम कर दिया . एक सिपाही चनन सिंह इनका पीछा करने लगा. चन्द्रशेखर आज़ाद ने उसे गोली मार दी.
इस तरह इन लोगों ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया. कुछ तथाकथित महात्मा टाईप नेताओं ने, भगत सिंह को एक आतंकी बना कर प्रस्तुत किया था जबकि भगत सिंह बन्दुक के बजाये बैचारिक क्रान्ति के प्रणेता थे. जेल के अंदर जब कैदियों को ठीक भोजन और सुविधाएं नहीं मिलती थीं, तो भगतसिंह ने आमरण अनशन किया था . भगतसिंह का कहना था कि - जब तक नौजवान शामिल नहीं होंगे, तब तक कोई क्रांति नहीं हो सकती.

जय हिन्द, वन्देमातरम, इन्कलाब - जिंदाबाद, भारत माता की जय ..
No comments:
Post a Comment