Wednesday, 14 December 2016

'मनु" से ही मनुष्य शब्द बना है

जो लोग मनुवाद से नफरत करते हैं, उन्हें सबसे पहले अपने आपको "मनुष्य" कहना बंद कर देना चाहिए, क्योंकि मनु के नाम पर ही आपको मनुष्य कहा जाता है. प्रलय के उपरान्त बचे हुए लोगों का पालन कर उन्हें पुनः स्थापित करने के लिए "मनु" महाराज ने ही तैयार किया था, इसलिए लोगों ने उन्हें अपना राष्ट्रपिता जैसा मान लिया था.
भारत और दुनिया की ज्यादातर भाषाओं में मनुष्य / आदमी के लिए, संबोधन के लिए जो शब्द प्रयोग किये जाते है उनमे ज्यादातर भाषाओं में मनु शब्द का आना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता. अधिकतर भाषाओं में इंसान /आदमी के लिए ऐसा संबोधन शब्द मिलता है, जिसमे "मनु" से मिलती जुलती ध्वनि निकलती हो.
मनुष्य: (संस्कृत), मानव (हिंदी), मानुष (मराठी), मनुख(पंजाबी), मनुश(बंगाली), मनुश्या (कन्नड) .Man(इंग्लिश), Human(इंग्लिश), Homan (), मानिश (नेपाली), Muntu (कांगो), Menungsa (जावा), मनुसिया (भाषा इंडोनेशिया), मन्स (Limburgs), मन्न (Deutsch), मन्निसका(Svenska), Menneske (Dansk), रेमन ( ) , मरदम(Zazaki), आदि आदि .
भागवत में , प्रलय के बाद मनु और श्रद्धा से मानवीय सृष्टि का पुनः प्रारंभ माना गया है. प्रलय के समय एक मत्स्य द्वारा नाव में बैठाकर मनु को बचा लिया गया था. प्रलय की और एक पुरुष के बचने की कथा विश्व के लगभग सभी प्राचीन ग्रंथों में पाई जाती है. प्रलय के उपरांत मनु को ही मानव जाति की प्रथम राष्ट्रपिता मना गया था.
"मनु" महाराज द्वारा रचित "मनुस्मृति" में पहली बार, मानव जीवन को नियमो में बाँधने की शुरुआत की गई थी. लेकिन इन नियमो को भी केवल एक सलाह के रूप में बता गया था न कि कानून बनाया गया था. भेदभाव का रोना रोने वालों को पता होना चाहिए कि - पिछले लगभग हजार साल से भारत में इस्लामी और ईसाई कानून का राज था.
किसी भी राजा के राज में इसे संविधान का दर्जा हासिल नहीं था. मनु स्मृति के आस्तित्व में आने के बाद से लेकर आज तक, हजारों प्रकार के नियम और संविधान बन चुके हैं. आज भी दुनिया में सैकड़ों अलग अलग संविधान चल रहे हैं और कोई भी संविधान यह दावा नहीं कर सकता कि - उसके नियम सम्पूर्ण मानव जाती के लिए समांन रूप से कल्याण कारी हैं.

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