Tuesday, 13 December 2016

गाजी अटैक

पापिस्तानी पनडुब्बी "PNS गाजी" को ध्वस्त करने 
की बरसी पर सभी देशवाशियों को हार्दिक बधाई 
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 पापिस्तान को अमेरिका ने अपनी डायब्लो पनडुब्बी लीज पर दे रखी थी जिसका नाम पापिस्तान ने PNS गाजी रखा था. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान का सबसे छुपा हुआ अमोघ अस्त्र था. उस समय भारत के पास एक भी पनडुब्बी नहीं थी. भारतीय नौसेना भी PNS गाजी को बहुत बड़ा ख़तरा मानती थी क्योंकि उसके पास इसका कोई जबाब नहीं था.
नौसेना को खबर लग चुकी थी कि पापिस्तान ने PNS गाजी को एक मिशन दिया हुआ था और वो मिशन था भारत के शक्तिशाली युद्धपोत "आईएनएस विक्रांत" को डुबोना. अगर गाजी अपने मिशन में कामयाब हो जाती, तो ये पाकिस्तान की बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत होती. ऐसे में गाजी को रोकना बड़ी चुनौती थी लेकिन हमारे नौसेना कामयाब रही.
1971 का युद्ध शुरू होने से ठीक पहले 14 नवंबर से 22 नवंबर के बीच गाजी को चुपचाप कराची से बंगाल की खाड़ी की तरफ रवाना कर दिया गया. लेकिन उसका असली मिशन था-विमान वाहक पोत विक्रांत को खोजकर तबाह करना. यह 75 दिन तक पानी के भीतर रह सकती थी. वो एक बहुत ही खतरनाक अद्रश्य दुश्मन की तरह थी.
इधर विक्रांत के बायलर में खराबी आने के कारण उसकी चाल कम हो गई थी. भारतीय नौसेना के लिए दो बड़ी चुनौती थीं एक विक्रांत की रक्षा करना तथा दुसरा गाजी का सामना करना. भारतीय नौसेना को पता चल चुका था कि गाजी बंगाल की खाड़ी के बीच कहीं समंदर में ही है. इस मौके पर पूर्वी नेवल कमांड के वाइस एडमिरल एन कृष्णन ने बड़ा दांव खेला.
उन्होंने आईएनएस विक्रांत को "X Ray" नाम के एक गुप्त ठिकाने की तरफ रवाना कर दिया गया. ये गुप्त ठिकाना मद्रास से 1000 मील दूर अंडमान-निकोबार में था. इसके साथ उन्होंने पनडुब्बी रोधी क्षमता से लैस INS राजपूत को, INS विक्रांत होने का नाटक करने को कहा. INS राजपूत से भारी वायरलेस मैसेज भेजे जाने लगे.
मद्रास नेवल बेस को कहा गया कि- उनकी तरफ बड़ा युद्धपोत आने वाला है. विशाखापत्तनम में भारी तादाद में मांस और राशन खरीदा जाने लगा. इससे भारत में मौजूद पापिस्तानी जासूस भ्रम में आ गए. इससे पाकिस्तान को लगा कि- विक्रांत विशाखापत्तनम में है. गाजी विक्रांत को डुबोने के इरादे से विशाखापत्तनम की तरफ बढ़ने लगी.
विशाखापत्तनम के समुद्र तट से कुछ ही दूर पर आईएनएस राजपूत को तैनात कर दिया गया. 4-दिसम्बर की रात आईएनएस राजपूत के कैप्टन लेफ्टिनेंट कमांडर इंदर सिंह ने पानी पर बड़ी हलचल देखी. उनको लगा इतनी हलचल किसी पनडुब्बी के पानी में गोता लगाने से ही हो सकती है. उन्होंने अपने नौसैनिकों को दो डेफ्थ चार्जर समुद्र में डालने का हुक्म दिया.
वहां वास्तव में गाजी ही थी. समुद्र के भीतर गाजी पर ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिया गया. जिसे गाजी झेल नहीं पाई और वहीँ समंदर में ही जलसमाधि ले लीे. 1971 के युद्ध में PNS गाजी को डुबोने की ये घटना, भारत की बहुत बड़ी जीत थी जिसने भारत को शुरू में ही भारी बढ़त दिला दी थी. PNS गाजी के नष्ट हो जाने से अमेरिका भी आगबबुला हो गया था.
इस घटना के बाद उसने भारत पर हमला करने के लिए अपना समुद्री बेड़ा हिन्द महासागर में भेजने का निर्णय ले लिया था. उस समय भारत के मित्र सोवियत संघ ने भारत का साथ दिया था और अमेरिका को चेतावनी दी कि अगर अमेरिका युद्ध में कूदा तो वो भारत का साथ देगा. तब सोवियत संघ की धमकी के बाद अमेरिका डर कर खामोश हुआ था.

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