Saturday, 20 May 2017

खावर कुरैशी

जो आज पापिस्तान का वकील है, उसे UPA सरकार अपना वकील बनाकर हार भी चुकी है
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कुलभूषण जाधव का मामला "इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस" में जाने के बाद दो नाम बहुत ज्यादा चर्चा में आये हैं. पहला नाम है भारत के वकील "हरीश साल्वे" का और दुसरा नाम है पापिस्तान के वकील "खावर कुरैशी" का. पहले दिन की पेशी में साल्वे ने जिस तरह से कुरैशी को पछाड़ा है उससे आम आदमी भी इसको उत्सुकता से देख रहा है.
हरीश साल्वे के बारे में तो टीवी, अखबार, सोशल मीडिया में इतना ज्यादा आ रहा है कि - आज उनका नाम बच्चे बच्चे की जुबान पर है. अब जरा थोड़ा सा उनके प्रतिद्वंदी "खावर कुरैशी" के बारे में भी जान लिया जाए. यह पापिस्तानी मूल का नागरिक है और अब इंग्लैण्ड में जाकर बस गया है. इसके बाबजूद पापिस्तान के प्रति बहुत बफादार है.
यह पापिस्तान के लिए भारत के खिलाफ पहले भी अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में केस लड़ चुके हैं. पापिस्तान सरकार ने हैदराबाद के निजाम की सम्पत्ति पर दावा करने का केस जब लड़ा था तब भी भारत के खिलाफ पापिस्तान का वकील "खावर कुरैशी" ही था. इस बात से तो नहीं मगर अब जो बता रहा हूँ उससे आपको अवश्य आश्चर्य होगा.
2004 में UPA सरकार ने विवादास्पद दाभोल परियोजना के मामले में "एनरान" कम्पनी के खिलाफ तत्कालीन भारत सरकार ने भी "खावर कुरैशी" को अपना वकील बनाया था. यह मुकदमा भारत हार गया था और अन्तराष्ट्रीय अद्दालत ने भारत को कई सौ करोड़ का जुर्माना किया था. एक पापिस्तानी मूल के नागरिक को अपना वकील UPA ही बना सकती थी.
भारत द्वारा पापिस्तानी मूल के "खावर कुरैशी" को अपना वकील बनाना गैर कानूनी भले ही न हो लेकिन अनैतिक तो है ही. जिस देश से दशकों से दुश्मनी हो उसके मूलनिवाशी के सामने अपने देश के न जाने कितने गोपनीय दस्ताबेज रखने पड़े होंगे. उस केस में भारत की हार का मुख्य कारण भारत की तरफ से सही पैरवी नहीं करना माना गया था.
मैं इसके बारे में और जानकारिया निकालने की कोशिश कर रहा हूँ . बैसे मुझे जिस बात का संदेह है उनकी पुष्टि करने के बाद विस्तार से लिखूंगा. इस वकील के नाम में कुरैशी सरनेम होने के कारण यह संदेह हुआ है . हो सकता है यह संदेह गलत भी साबित हो. इसलिए आगे जो लिख रहा हूँ उसपर केवल बिचार कर सकते है, एकदम सही नहीं मान सकते हैं.
आप लोगों को पता ही होगा कि - लाहोर कोर्ट में "भगतसिंह राजगुरु सुखदेव" को फांसी की सजा सुनाने वाला जज कोई अंग्रेज नहीं था बल्कि एक मुस्लिम था और उसका सरनेम भी कुरैशी था. बाद में पापिस्तान बन्ने के बाद उसको महत्वपूर्ण पद दिए गए. राजनैतिक रंजिश के चलते जुल्फकार अली भुट्टो ने जस्टिस कुरैशी की ह्त्या करवा दी थी.
मुस्लिम लीग की सरकार बन्ने के बाद जस्टिस कुरैशी का बेटा भी उच्च पद पर रहा. तब भुट्टो को जस्टिस कुरेशी की ह्त्या की साजिश के जुर्म में फांसी चढ़ा दिया गया था. कुछ साल बाद जब बेनजीर भुट्टो की सरकार बनी तो वो बाला कुरैशी अपने परिवार के साथ इंगलैंड जाकर बस गया. मुझे सदेह है कि कहीं "खावर कुरैशी" उसी का बेटा तो नहीं है ?
इस बारे में खोजने की कोशिश कर रहा हूँ. पुष्टि होने के बाद उसपर अवश्य लिखूंगा. अब अगर ये मान भी लेते हैं कि - "खावर कुरैशी", भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाने वाले जस्टिस कुरैशी का पोता नहीं भी है तो देश की कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार को एक पापिस्तानी मूल के नागरिक को अपना वकील करने चुनने की क्या जरूरत थी ?
कांग्रेस पार्टी में तो कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, अभिषेक मनु संघवी, अदि जैसे एक बढ़कर एक बड़े वकीलों की भरमार है तो कांग्रेस पार्टी के वकील ने ऐसे मामलो में एक विदेशी वकील ( वो भी पापिस्तानी मूल का) की सेवाये क्यों लीं ?क्या ये तथाकथित बड़े वकील अपने बनाए जजों के सामने मुकदमा लड़ लड़ कर ही, बड़े वकील बने हुए हैं ?

1 comment:

  1. Kya Pakistan ne Kulbhushan Jadhav ko chhod diya. Ise hi kehte hai begani shadi me Abdullah diwana.

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