
दुर्भाग्यवश विवाह के चार वर्ष बाद ही राजा दलपतशाह का निधन हो गया. उस समय दुर्गावती की गोद में तीन वर्षीय नारायण ही था. अतः रानी ने स्वयं ही गढ़मंडला का शासन संभाल लिया. उन्होंने अनेक मंदिर, मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं. वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केन्द्र था. उन्होंने अपनी दासी के नाम पर चेरीताल, अपने नाम पर रानीताल तथा अपने विश्वस्त दीवान आधारसिंह के नाम पर आधारताल बनवाया.
जालिम और ऐय्यास शहंशाह "अकबर" को जब महारानी दुर्गावती की बहादुरी और सुन्दरता के बारे में पता चला, तो उसने अपनी ताकत के बल पर महारानी को अपने हरम में डालने का निश्चय कर लिया. उसने विवाद प्रारम्भ करने हेतु रानी के प्रिय हाथी (सरमन) और उनके विश्वस्त वजीर आधारसिंह को भेंट के रूप में अपने पास भेजने को कहा. मगर स्वाभिमानी रानी ने अकबर की नीयत को समझते हुए उसकी मांग ठुकरा दी.
इस पर अकबर ने अपने एक रिश्तेदार आसफ खां के नेतृत्व में गोंडवाना पर हमला कर दिया. और उसे हुकुम दिया कि - रानी दुर्गावती को ज़िंदा और सही सलामत उसके हरम के लिए लाया जाए. पहले हमले में आसफ खां बुरी तरह से पराजित हुआ. रानी के नेत्रत्व में हुए मुकाबले में मुग़ल सेना को बहुत क्षति उठानी पडी. लेकिन जल्द ही आसफ खान ने दुगनी सेना और तैयारी के साथ गोंडवाना पर हमला बोल दिया.

अपनी पराजय सुनिश्चित देखकर , रानी ने अपने पुत्र नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया और अपने वजीर आधारसिंह से आग्रह किया कि वह अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दे, लेकिन आधारसिंह अपनी महारानी की ह्त्या के लिए तैयार नहीं हुआ. तब रानी ने अपनी कटार स्वयं ही अपने सीने में भोंककर आत्म बलिदान दे दिया. महारानी ने अपनी जान देकर अपने और अपने देश के स्वाभिमान की रक्षा की.
इस युद्ध में छोटी सी रियासत के सामने मुग़लिया सल्तनत को भारी नुकशान उठाना पडा था. इसके अलावा महारानी दुर्गावती को अपने हरम में लेजाने का अकबर का सपना भी टूट गया था. इससे क्षुब्ध होकर "तथाकथित अकबर महान" ने गोंडवाना में भीषण नरसंहार किया, बूढों और बच्चों को भी नहीं बख्शा. उसने अपने सैनिकों को महिलाओं की इज्ज़त लुटने को कहा तथा अनेकों हिंदू स्त्रीयों को जबरन उठवाकर ले गया था.

एक महत्वपूर्ण तथ्य और जिस समय अकबर ने दुर्गावती को पाने की खातिर गोंडवाना पर चढाई की थी उस समय रानी दुर्गावती की आयु 40 बर्ष थी और अकबर की मात्र 22 साल. अकबर के एक खास ने जब अकबर से यह कहा कि - वो तो आपके सामने बुढ़िया है तो अकबर का जबाब था कि - मुझे लड़कियों की कमी नहीं है , मुझे तो इन हिन्दुस्थानियों के स्वाभिमान को मसलना है. और ऐसे नीच को भी कुछ लोग महान कहते हैं.
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