Monday, 15 May 2017

दुनिया की सबसे कीमती जमीन


क्या आपको पता है कि- दुनिया में सबसे महगी जमीन कहाँ पर है? क्या वो अमेरिका, इंग्लैण्ड, जापान या डुबई में है ? जी नहीं............. वो सबसे कीमती जमीन भारत में ही है और भारत के पंजाब प्रांत के सरहिंद में है. यहाँ एक ऐसी जगह है जो 78000 सोने की मोहर में 4 वर्ग गज खरीदी गई थी. सोने की वर्तमान कीमत के हिसाब से उस 4 वर्ग गज जगह के लिए लगभग ढाई अरब रूपए कीमत दी गई थी.
गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहबजादो को शहीद कर उनके पार्थिव शरीर को जंगल में (वर्तमान फतेहगढ़ साहब गुरुद्वारे के पीछे) रखा गया था और उनके अंतिम संस्कार की भी इजाजत नहीं थी. राष्ट्र, धर्म, गुरुजी और इंसानियत के प्रति निष्ठा रखने वाले सरहिंद के दीवान टोडरमल साहबजादों का अंतिम संस्कार करना चाहते थे. उन्होंने सरहंद के नबाब से आग्रह किया कि - साहबजादों के संस्कार की इजाजत दी जाए.
इस पर नबाब ने एक असंभव सी शर्त रख दी. उसने कहा हिन्दुस्थान की सारी जमीन के मालिक आलमगीर औरंगजेब हैं यदि आपको इन बच्चों का संस्कार करना है तो संस्कार करने के लिए जमीन खरीदो. टोडरमल ने कहा मैं जमीन खरीदने के लिए तैयार हूँ, आप कीमत बताइये . तब नबाब ने कहा जितनी जमीन चाहिए उतनी जगह पर सोने की मोहरें बिछाकर वो मोहरे सरकारी खजाने में देनी होंगी.
इस कीमत को सुनकर सब हक्के बक्के रह गए मगर दीवान टोडरमल ने इसे स्वीकार कर लिया. उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति और सोने को समर्पित कर दिया. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि - उनके पास भी इतना सोना नहीं था लेकिन उनके बचन देने के बाद, इलाके के सभी धर्मियों ने, पहेचान गुप्त रखते हुए अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोने की मोहरे दीवान टोडरमल को समर्पित कर दीं थी.
दीवान टोडरमल मल ने सोने की 78,000 मोहरें बिछाकर नबाब से जमीन खरीदी और उस जगह पर देश और धर्म की रक्षा के लिए शहीद होने वाले गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहबजादों का सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार किया. धर्म की रक्षा के लिए शाहीद होने वाले साहबजादों का नाम तो अमर है ही लेकिन उनके पार्थिव शरीर का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के लिए दीवान टोडरमल को भी सदैव याद किया जाता रहेगा.
जिस स्थान पर छोटे साहबजादों का अंतिम संस्कार किया गया था उस स्थान पर गुरुद्वारा "ज्योति सरूप साहिब " सुशोभित है. अपने बच्चों को जीवन में कम से कम एक बार गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहब और गुरुद्वारा ज्योति स्वरूप साहब, सरहंद में माथा टेकने अवश्य जाएँ, जिससे आपके बच्चों को भी उन महान बालको के जीवन से प्रेरणा मिल सके. जो बोले सो निहाल , सत श्री अकाल , भारत माता की जय


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