Friday, 26 May 2017

भूपेन हजारिका ब्रिज



नार्थईस्ट का नार्थईस्ट, ब्रह्मपुत्र के कारण उत्तर / दक्षिण में बंटा हुआ है. इस क्षेत्र के लोग लम्बे समय से ब्रह्मपुत्र पर पुल बनाने की मांग नेहरु / इंदिरा के समय से ही करते आ रहे थे. नरसिम्हाराव सरकार में जब डा. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने थे तब डा. मनमोहन सिंह असम की राज्यसभा सीट से ही सांसद बने थे.
उस समय असम के लोगों ने डा. मनमोहन सिंह के सामने यह मांग रखी थी. तब उन्होंने आश्वासन भी दिया मगर इसपर कोई काम नहीं हुआ. 2003 में तिनसुकिया से असम गण परिषद के विधायक "जगदीश भुइयां" और सांसद अरुण शर्मा ने तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के सामने इस पुल को बनाने की फिर से मांग रखी.
उन्होंने अप्रेल 2003 में एक पत्र लिखकर, तत्कालीन अटल सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री "सीपी ठाकुर" से इस पुल के निर्माण की मांग की थी. अटल सरकार ने, अगस्त - 2003 में इस पुल के निर्माण के लिए फिजिबलिटी स्टडी करने का आदेश दे दिया. 2004 में रिपोर्ट तैयार हो गई, लेकिन इससे पहले कि काम शुरू होता सरकार चली गई.
उसके बाद वो फिजिबलिटी रिपोर्ट 5 साल ठन्डे बस्ते में पडी रही. असम के स्थानीय नेताओं ने असम से राज्यसभा सांसद और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह पर इसके लिए दबाब बनाया, तो मनमोहन सिंह कैबिनेट ने जनवरी, 2009 में धौला-सदिया पुल बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी, लेकिन 2 साल तक कोई काम शुरू नहीं हुआ.
2011 में पुल बनाने का काम शुरू हुआ और इसे दिसंबर, 2015 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन अप्रेल 2014 तक 20 % काम भी पूरा नहीं हुआ. मई 2014 में मोदी सरकार आ गई. मोदी की नार्थईस्ट पर विशेष नजर थी. नार्थईस्ट में भाजपा को आगे बढाने के लिए उन्होंने इस पुल को माध्यम बनाया और इस पुल पर काम को तेज कराया.
पिछले तीन साल से से नार्थईस्ट के नार्थईस्ट में यह पुल घर घर में चर्चा का बिषय था. नार्थईस्ट ( खासकर - अरुणाचल, असम, मणिपुर) में भाजपा का प्रभाव बढ़ने के पीछे, इस पुल के निर्माण में तेजी का योगदान भी नकारा नहीं जा सकता है. आज ( 26 मई 2017) को अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने पर, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया.
तिनसुकिया के लोगों की भावना का ध्यान रखते हुए उन्होंने इस पुल का नाम किसी राजनेता के नाम पर रखने के बजाय वहां के लोकप्रिय व्यक्तित्व "भूपेन हजारिका" के नाम पर रखा. इस क्षेत्र के लोगो में भूपेन हजारिका के प्रति जो सम्मान है उसको देखते हुए इससे बेहतर कोई नाम हो ही नहीं सकता था. भारत माता की जय, वन्देमातरम्..

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