( तिजोरियों / तहखानो में बंद नोटों को बाहर निकालने का उपाए )
देश में पैसे की कोई कमी नहीं है लेकिन वह ज्यादातर धन “कालेधन” के रूप में तिजोरियों / तहखानो में बंद है अथवा देश के बाहर विदेशी बैकों में पडा है. इसका लाभ भारतीयों को नहीं मिल पा रहा है बल्कि मेहनती भारतीयों द्वारा कमाये गए धन से, भ्रष्ट लोग ऐश कर रहे हैं. प्रभावशालियों ने अपने निजी फायदे के लिए जानबूझ ऐसे नियम कानून बना रखे हैं जिससे कि - वे लोग उन कानूनी खामियों का फायदा उठाकर सुरक्षित बने रहते हैं.
पहली बार देश में ऐसा लग रहा है कि- कोई सरकार इस कालेधन को बाहर निकालने पर प्रतिबद्ध दिखती है, लेकिन वर्तमान समय में भी ऐसा नेता और सरकारी अधिकारी मौजूद हैं जिनके पास अथाह कालाधन मौजूद है और वे लोग किसी न किसी तरह की रुकावटें पैदा करते हैं. प्रधानमंत्री जी इसको निकालने का प्रयास करने में लगे है. मेरे पास कुछ ऐसे सुझाव हैं जिनसे प्रधानमंत्री जी को इस मामले में मदद मिल सकती है.
कालाधन ज्यादातर नगदी के रूप में चलता है. नगद लेन-देन का सरकार के पास कोई हिसाब किताब नहीं रहता है. अगर सरकार यह पालिसी बनाय कि – प्रत्येक दस बर्ष के बाद पुराने नोट समाप्त करके, एकदम नए प्रकार के नोट बाजार में निकालेगी और पुराने नोटों को जाली मान लिया जाएगा तो इससे तिजोरियों / तहखानो में नोट जमा करने की प्रव्रत्ति पर निश्चित रूप से अंकुश लगेगा.
उदाहरण के लिए, जैसेकि वर्तमान समय में गांधीजी की फोटो वाले नोट चल रहे हैं. सरकार किसी अन्य महापुरुष जैसे सुभाष चन्द्र बोस की फोटो वाले नोट देश में निकाल दे और घोषित कर दे कि गांधीजी के फोटो वाले नोट का लेन-देन अवैद्ध माना जाएगा. जिनके पास गांधीजी की फोटो वाले नोट हैं वो उनको बैंक में जमा कर दें और वहां से सुभाष चन्द्र बोस की फोटो वाले नोट ले ले.
साथ ही यह भी घोषणा कर दी जाए कि – सुभाष चन्द्र बोस की फोटो वाले नोट भी मात्र दस बर्ष तक ही वैध्य रहेंगे. इसके दस बर्ष बाद सरदार भगत सिंह, उनके दस बर्ष बाद भीमराव आंबेडकर, उनके दस बर्ष बाद चन्द्र शेखर आजाद, आदि ( महापुरुषों के नाम और क्रम कुछ भी हो सकते है, इसपर विवाद न हो ) की फोटो वाले नोट मिला करेगे. ऐसा करने से कालाधन तो बाहर आयेगा ही, नकली नोटों का कारोबार भी ठप्प हो जाएगा.
साथ ही जनता को प्रेरित किया जाय कि - बैंक में जमा पैसे के बदले, नगद नोट लेने के बजाय अधिकाँश लेनदेन डेविट कार्ड के माध्यम से करे तथा केवल छोटी-मोटी परचेज के लिए ही नोटों का इस्तेमाल किया जाए. जनधन योजना से सबके पास खाता तो हो ही गया है. प्रत्येक व्यक्ति का बैंकखाता खोलने की “जनधन योजना” का लाभ भी इसके माध्यम से गरीब से गरीब व्यक्ति को भी मिल सकेगा.
जिनके पास कालाधन है उनकी मजबूरी होगी कि - वो अपने नोटों को गरीबों में बांटे या फिर उसमे आग लगाएं. यह भी हो सकता है कि – तब भ्रष्ट लोग गरीबो से इस तरह के सौदे करें कि हम तुमको गांधीजी की फोटो वाले एक लाख रूपय देंगे तुम इनको बैंक में जमा करके सुभाष चन्द्र बोस की फोटो वाले पचास हजार हमको दे देना. लेकिन कुछ भी हो कालाधन तो बाहर आयेगा ही और गरीबो का भला भी होगा.
( यह पोस्ट फेसबुक पर मई -2016 में लिखी थी. इससे कुछ मिलता जुलता काम नबम्बर -2016 में हो गया था)
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