भ्रष्टाचार की आवश्यकता ही ख़तम कर देना
इंसान को धन की आवश्यकता हमेशा ही रहती है. आर्थिक असुरक्षा की भावना ही इंसान को भ्रष्ट बनने पर मजबूर करती है. बच्चो की मंहगी शिक्षा और बीमार होने पर महंगा ईलाज इंसान के भ्रष्ट होकर पैसा जमा करने का मुख्य कारण है. भोजन, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा और न्याय प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार तथा पूरी तरह से निशुल्क होना चाहिए.
प्रत्येक व्यक्ति को “भोजन” देने के लिए गुरु नानक के सच्चे सौदे की अवधारणा को अपनायाजाना चाहिए. प्रत्येक शहर, कसबे और गाँव में धर्म स्थल का चुनाव कर वहां एक साधारण लंगर प्रतिदिन दिन चलना चाहिए. इसको सरकार एवं समाजसेवियों के सहयोग से चलाना चाहिए तथा प्रतिदिन भोजन करने वाले लोगों को भी सेवा में लगाना चाहिए.
“शिक्षा” को लेकर सरकार बहुत दावे करती है लेकिन मंहगी शिक्षा के सामने अक्सर अभिभावक घुटने टेक देते हैं. सरकार को सरकारी स्कूलों में सुधार लाना चाहिए और यदि यह संभव नहीं है तो निजी स्कूल में दी जने वाली फीस का 80% बोझ खुद उठाना चाहिए. इसकी भरपाई के लिए व्यापार पर शिक्षा अधिभार लगाकर खर्च को सारे देश पर बाँट देना चाहिए. तब निजी स्कूल भी सरकार की बात मानने लग जायेंगे.
शिक्षा की तरह “चिकित्सा” पर भी सरकार का नियंत्रण और जिम्मेदारी रहनी चाहिए. दवा उत्पादकों से दवाये सरकार को खरीदनी चाहिए और उसे हस्पतालों की मांग पर देना चाहिए. दवा खरीदने के लिए उनकी कीमत का पता लगाने के लिए टेंडर के बजाय, उस कम्पनी द्वारा अन्य डिस्टीब्यूटर्स को दी जाने वाली कीमत का पता लगाना चाहिए और यह उसे सेल टैक्स विभाग से आसानी से पता चल सकता है .
“सुरक्षा” भी प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार होना चाहिए. पुलिस को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि वो अपने आपको जनता को धमकाने वाली शक्ति समझने के बजाय जनता से पैसे लेने के कारण उनकी सेवा करने के लिए जिम्मेदार बने. यह कार्य मुश्किल अवश्य है लेकिन असंभव हरगिज नहीं है. यदि कोई दृढ निश्चय कर ले तो इसे भी अवश्य किया जा सकेगा.
देश की एक बहुत बड़ी समस्या धीमी और खर्चीली “न्याय” प्रणाली है. धीमे और मंहगे होने से भी ज्यादा मुश्किल काम इसमें यह है कि- किसी गरीब या साधारण व्यक्ति पर कोई झूठा आरोप भी लग जाए तो वो बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया जाता है. लेकिन यदि कोई अमीर और प्रभावशाली व्यक्ति जुर्म भी करे तो उसको सजा होना बहुत मुश्किल है, उसको बचाने के अनेक रास्ते हैं.
मंहगे भोजन, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा और न्याय के संकट से, अपने आपको बचाने के लिए बहुत ज्यादा धन की आवश्यकता है. जब वो यह धन सीधे तरीके से नहीं कमा सकता है तो वो इसके लिए अनैतिक कार्य करने से भी परहेज नहीं करता है. यदि सरकार इन पांच मूलभूत सुबिधाओ को पूरा कर दे हो, अनैतिक तरीकों से धन कमाने की आवश्यकता ही समाप्त हो जायेगी.
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