गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस / कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभ कामनाएं
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गुरु नानक जब युवा थे तो उनके पिता ने उनको 20 रूपए ( जो उस समय के हिसाब स बहुत बड़ी रकम थी) देकर कहा था कि जाकर कोई खरा सौदा ( बिजनेस ) करो. गुरु नानक ने उन रुपयों से भूखों को भोजन कराया और पिता से कहा कि - मैंने ऐसा सौदा किया है जिसमें २० रूपए लगाकर जन्मो के पाप नष्ट हो जायेंगे.
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गुरु नानक जब युवा थे तो उनके पिता ने उनको 20 रूपए ( जो उस समय के हिसाब स बहुत बड़ी रकम थी) देकर कहा था कि जाकर कोई खरा सौदा ( बिजनेस ) करो. गुरु नानक ने उन रुपयों से भूखों को भोजन कराया और पिता से कहा कि - मैंने ऐसा सौदा किया है जिसमें २० रूपए लगाकर जन्मो के पाप नष्ट हो जायेंगे.
गुरु नानक जी ने सिद्धांत दिया था "किरत करो, नाम जपो, बंड छको" अर्थात अपने कर्तव्य का पालन करो, ईश्वर का नाम जपो और मिल-बाँट कर खाओ. उनके अनुयाईयों ने इस सीख का पालन किया और आज लगभग प्रत्येक गुरुद्वारे में छोटे / बड़े स्तर पर लंगर की व्यवस्था की जाती हैं. कुछ प्रमुख गुरुद्वारों में तो प्रतिदिन हजारों लोग भोजन करते हैं.
बैसे तो लगभग प्रत्येक धर्म में ही भूखों को भोजन कराने को कहा जाता है और सभी धर्मों के लोग भंडारा और लंगर आदि लगवाते भी रहते हैं मगर सार्वजनिक लंगर का आयोजन जितना सिस्टमैटिक और नियमित ढंग से सिक्खों द्वारा किया जाता है उतना शायद अन्य किसी के भी द्वारा नहीं किया जाता है.
बिभिन्न अवसरों पर मंदिरों में खीर, पूड़ी, सब्जी, पकौड़े, मिष्ठान, आदि अनेकों प्रकार के पकवानों का वितरण करते हैं, लेकिन यह कार्य नियमित नहीं होता है. ऐसे पकवानों को नियमित बांटा भी नहीं जा सकता है. गुरुद्वारे के लंगर में, बेहतरीन पकवान बांटने की जगह, केवल साधारण दाल, सब्जी, रोटी या चावल का वितरण किया जाता है.
सभी को चाहे अमीर हो या गरीब, एक जैसा भोजन, एक साथ पंक्ति में बैठकर करना होता है. ऐसा करने से सबको भोजन मिलता है, व्यवस्था भी बनी रहती है, किसी को छोटे-बड़े का अहसास भी नहीं होता है, अन्न की बर्बादी भी नहीं होती है और खर्चा भी सीमित रहता है. सिस्टमैटिक होने के कारण यह व्यवस्था नियमित रूप से, निरंतर चलती रहती है.
आज कहीं लोग भुखमरी का शिकार हैं तो कहीं अनाज गोदामो में सड़ रहा है. इस अनाज को गरीबों में बांटने की वकालत की जाती हैं, लेकिन अगर गरीबों में बांटने की भी कोशिश की, तो ये अनाज भ्रस्टाचार के कारण काला-बाजारियों के हाथों में पहुँच जाएगा. इस अनाज का सही उपयोग करने के लिए गुद्वारो का सहयोग लेना चाहिए.
जहाँ भुखमरी की समस्या है, वहाँ गुरद्वारो को अनाज एवं अन्य सुबिधायें देकर, लोगों को तैयार भोजन उपलब्ध कराना चाहिए. साथ ही उन गरीबों का भी सेवा कार्य में सहयोग लेना चाहिए. बैसे तो भ्रस्टाचार से आज कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग (अपवाद को छोड़कर) धार्मिक कार्य में गलत काम करने से डरते हैं.
भुखमरी और अनाज की बर्बादी दोनों देश की दो बहुत बड़ी समस्याएं है और "गुरु नानक देव जी के सच्चे सौदे" से इन दोनों समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. इससे अनाज की बर्बादी भी रुकेगी और भुखमरी का भी खात्मा होगा, साथ ही इससे लोगों में सेवा और भाईचारे की भावना भी बढ़ेगी .
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दुनिया से भुखमरी का खात्मा केवल "गुरु नानक के सच्चे सौदे" से ही संभव हो सकता है
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दुनिया से भुखमरी का खात्मा केवल "गुरु नानक के सच्चे सौदे" से ही संभव हो सकता है
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