Saturday, 13 May 2017

काला धन बाहर निकालने के उपाय – 03

( कालेधन को कृषि आमदनी बताने वालों को सामने लाने का उपाए )
कोई भी व्यक्ति मजदूरी, व्यवसाय या नौकरी करता है तो उसे पता होता है कि – उसको अपनी मेहनत का फल एक महीने में मिल ही जाएगा. लेकिन कृषि ऐसा धंधा है जिसमे अत्यधिक मेहनत होने के बाबजूद किसान को यह पता नहीं होता है कि – उसको अपनी मेहनत का फल क्या मिलेगा और मिलेगा भी या नहीं. घरेलू परेशानिया, बैको-साहूकारों का ब्याज और मौसम की मार, आदि सब उसकी जान के दुश्मन बने रहते हैं.
देश में सबसे ज्यादा बुरी हालत किसानो की है. कभी फसल ठीक नहीं होती है और अगर कभी फसल भी ठीक-ठाक हो जाए तो उसका भाव नहीं मिलता है. बाढ़ और सूखे की मार का भी असर, सबसे ज्यादा किसान पर ही पड़ता है. इन दुःख तकलीफों से परेशान होकर अनेक किसान आत्मह्त्या तक कर लेते हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि –आयकर विभाग के आंकड़ों के हिसाब से सबसे अमीर किसान ही हैं.
किसानो की खराब हालत को देखते हुए सरकार ने नियम बनाया था कि –कृषि से होने वाली आमदनी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इस नियम का फायेदा किसानो को तो क्या ही मिलना था, इसका फायेदा भी अन्य योजनाओं की तरह केवल नेता और सरकारी अधिकारी ही उठा रहे हैं. यह नेता और सरकारी अधिकारी थोड़ी सी जमीन खरीद लेते हैं और अपनी सारी दो नंबर की कमाई को “खेती से आमदनी” प्रदर्शित करते हैं.
अभी कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर खबर थी कि – महाराष्ट्र की एक महिला नेता ने आयकर बिभाग को कृषि से 3 करोड़ से ज्यादा आमदनी दिखाई थी जबकि उनके पास कुल पौने दस एकड़ जमीन है. ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के कई तरीके हो सकते हैं, लेकिन सबसे पहला काम यह करना चाहिए कि – पचास लाख वार्षिक से ज्यादा कृषि आमदनी वाले तथाकथित किसानो के नाम सार्वजनिक किये जाने चाहिए.
पहली बात तो यह कि – पचास लाख प्रतिबर्ष वाला व्यक्ति वास्तविक किसान होगा ही नहीं और यदि वह वास्तव में किसान है और 5 - 10 एकड़ जमीन पर खेती करके लाखों / करोड़ों कमा रहा है तो उसकी तकनीक और अनुभव का लाभ अन्य किसानो को भी मिलना चाहिए. ऐसे बुद्धिमान किसान की जानकारी सार्वजनिक होने पर सबको उनका पता चलेगा, जिससे उससे मिलकर लोग लाभकारी खेती सीख सकेंगे.
उसके बाद वास्तविक किसानो और फर्जी किसानो को अलग अलग करना चाहिए. वास्तविक छोटे किसानो को सभी सुबिधायें यथावत मिलती रहनी चाहिए और फर्जी किसानो पर टैक्स के साथ साथ जुर्माना भी लगाना चाहिए. उन फर्जी किसानो से मिले टैक्स और जुर्माने का इस्तेमाल वास्तविक किसानो की दशा सुधारने में और गाँवों में आधारभूत सविधाओ को बढ़ाने में करना चाहिए.
बहुत सारे ऐसे वास्तविक किसान भी हैं, जिनकी सालाना आमदनी बहुत ज्यादा है, जो करोंड़ो के फार्महाउस में रहते हैं और मंहगी एस यू वी के मालिक हैं उनको भी ऐसी छूट और सब्सिडियां नहीं दी जानी चाहिए. अभी हालत यह है कि जिन वास्तविक छोटे किसानो को सुबिधायें मिलनी चाहिए उनको तो मिल नहीं पाती हैं और बड़े तथा फर्जी किसान उन सुबिधाओ का लाभ बार-बार को लूटते रहते हैं.

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