Friday, 26 May 2017

भुपेन हजारिका

आज मोदी जी ने असम में तिनसुकिया के पास एक विशाल पुल का उदघाटन किया. इस पुल को नाम दिया गया है "भुपेन हजारिका ब्रिज". कई मित्रों के लिए यह नाम बिलकुल अपरिचित सा लगा और उन्होंने पूंछा कि- यह भूपेन हजारिका आखिर कौन थे ? भूपेन जी पर मैंने पहले भी लेख लिखा था, ढूँढने पर मिल जाएगा.
उसमे मैंने उनके बारे में काफी विस्तार से लिखा था. फिलहाल संक्षेप में मैं उनके बारे में थोड़ा सा बताने का प्रयास कर रहा हूँ. भूपेन जी असम राज्य के एक बहुमुखी प्रतिभावान कलाकार थे. वे असमिया भाषा के कवि, लेखक, गीतकार, पत्रकार, गायक, संगीतकार, फिल्म निर्माता के साथ साथ असम की संस्कृति के अच्छे जानकार भी थे.
अपनी मूल भाषा असमिया के अलावा भूपेन हजारिका ने हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाने गाये हैं. "दिल हूम हूम करे", "ओ गंगा तू बहती है क्यों" तथा "वैष्णव जन तो तेने कहिये " जैसे हिन्दी गीतों में हम उनकी आवाज का जादू महेसूस कर सकते हैं.
भूपेन हजारिका का जन्म 18 सितम्बर 1926 को असम के तिनसुकिया जिले के सदिया कसबे में हुआ था. उनके पिताजी का नाम नीलकांत एवं माताजी का नाम शांतिप्रिया था. गीत संगीत की उनकी पहली शिक्षिका उनकी माता ही थीं. उन्होंने दस साल की आयु में एक गीत लिखा और स्कूल में गाया था. उस गीत को एक स्थानीय पत्रिका ने छापा भी था.
13 साल की उम्र में उन्होंने असमिया भाषा की दूसरी फिल्म "इंद्रमालती" में काम भी किया. प्रतिभावान कलाकार होने के साथ साथ वे पढ़ाई में भी बहुत होशियार थे. उन्होंने तेजपुर से मैट्रिक, गुवाहाटी से इंटरमीडिएट, बनारस हिन्दू विश्वविध्यालय (BHU) से राजनीति शास्त्र M.A. तथा न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से PHD की डिग्री हाशिल की.
वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, खुद ही संगीतबद्ध करते थे और खुद ही गाते थे. उन्हें दक्षिण एशिया के श्रेष्ठतम जीवित सांस्कृतिक दूतों में से एक माना जाता था. उनको 1975में क्षेत्रीय फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, 1991 में दादा साहब फाल्के अवार्ड तथा 2011 में पद्मविभूषण सम्मान दिया गया.
5 नवम्बर 2011 को 85 साल की आयु में मुम्बई में उनका देहांत हो गया था. सौभाग्य से मुझे असम के तिनसुकिया जाने का अवसर मिला है और मैंने देखा है कि - बहाँ के लोग उनका कितना सम्मान करते हैं. तिनसुकिया को ब्रह्मपुत्र पार वाले क्षेत्र से जोड़ने वाले पुल को, सरकार ने उनका नाम देकर बहुत अच्छा काम किया है

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