Saturday, 20 May 2017

अटल जी को, भगत सिंह के खिलाफ गवाह बताने वाले, प्रोपोगंडे की पोल खोल


 अटल जी को, भगत सिंह के खिलाफ गवाह बताने वाले, प्रोपोगंडे की पोल खोल 
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हमेशा केवल झूठ वोलने लोग कैसी कैसी मनगढ़ंत बाते लिखते हैं और उनके अंधे फालोअर उनका बिना जाने समझे प्रचार करने लग जाते हैं यह देखकर कई बार तो उनकी हालत पर तरस आता है. पिछले कई दिनों से कुछ ऐसे ही लोगों की पोस्ट में अटल बिहारी बाजपेई जी पर झूठे आरोप लगाने वालों के बारे में पढ़ रहा था.
इन मूर्खों ने आजकल एक प्रोपगंडा छेड़ा हुआ है कि - अटल बिहारी बाजपेई की मुखबरी की बजह से सरदार भगत सिंह गिरफ्तार हुए थे, और अटल जी की गवाही की बजह से ही भगत सिंह राजगुरु सुखदेव को फांसी हुई थी. यह ऐसे अकल के अंधे लोग हैं जो अपना दिमांग लगाए बगैर ही कोई बात जो बीजेपी के बिरोध में बोलने लग जाते है.
इन अकल के अन्धो को उन पोस्ट्स पर बार बार जबाब दिया है लेकिन इनको अगर इतनी समझ ही होती तो समस्या क्या थी. पोस्ट के रूप में उस प्रोपोगंडे का जबाब दे रहा हूँ ताकि लोग सच्चाई को जान सके. सबसे पहले तो यह जान लेना जरुरी है कि - अटल अटल बिहारी बाजपेई का जन्म सन 25 दिसंबर 1924 में ग्वालियर में हुआ था.
भगत सिंह 8 अप्रेल 1929 को गिरफ्तार हुए थे. उस समय अटल बिहारी बाजपेई की उम्र लगभग सवा चार साल की थी. इन लोगों को इतनी मामूली से बात भी समझ नहीं आती है. अब बात करते हैं कि - भगत सिंह की गिरफ्तारी कैसे हुई थी ? क्या किसी ने उनकी मुखबिरी की थी ? इसके लिए पहले उस घटनाक्रम को समझना होगा.
वास्तविकता यह है कि - भगत सिंह को किसी ने गिरफ्तार नहीं कराया था बल्कि उन्होंने खुद अपनी गिरफ्तारी दी थी. भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने तो असेम्बली में बम का धमाका किया और पर्चे फेंके. इसके अलावा उन्होंने फरार होने की कोई कोशिश करने के बजाय इन्कलाब - जिंदाबाद के नारे लगाए और खुद अपनी गिरफ्तारी दी.
अब बात करते हैं भगत सिंह के खिलाफ अटल जी की गवाही की तो उस समय अटल जी की उम्र साढ़े चार साल थी और वे लाहौर से सैकड़ों मील दूर ग्वालियर में रहा करते थे. इसलिए यह मुद्दा भी ख़त्म हो जाता है. अब सवाल उठता है कि - भगतसिंह के खिलाफ किन लोगों ने गवाही दी थी, तो उस मुक़दमे में भगत सिंह आदि के खिलाफ 5 लोग मुख्य गवाह थे.
शोभा सिंह (खुशवंत सिंह का पिता) , दीवान चन्द फोगाट ( DLF का फाउन्दर) , मातुराम हुड्डा ( भूपिंदर हुड्डा का दादा), जीवन लाल ( एटलस साइकिल का मालिक), एक नवीन जिंदल के बहनोई का दादा. यह सभी लोग आजादी के पहले भी और आजादी के बाद भी नेहरु के बहुत करीबी रहे.
इन 5 के अलाबा भी लगभग 450 अन्य लोगों ने भी इस मुकदमे में गवाही दी थी. उन सब के नाम भी अपलब्ध है. यदि किसी को चाहिए तो दिए जा सकते है

1 comment:

  1. 450 लोगो के नाम भी चाहिए कैसे मिलेंगे नाम

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