आर्यों की जितनी भी गाथाये है वो अयोध्या की हैं, हस्तिनापुर की हैं, कन्नौज की हैं, मगध की है, काशी की हैं, मथुरा की हैं, सिंध की हैं, गांधार की हैं, मणिपुर की हैं, अरुणाचल की है, नाशिक की हैं, रामेश्वरम की हैं, नैमिशारण्य की हैं, उज्जैन की हैं, मालाबार की है, विजयवाड़ा की हैं, उत्कल की है, सौराष्ट्र की हैं, तिरुपति की हैं, पाटिलपुत्र की हैं,
त्रिपुरा की हैं, कामख्या की हैं, दरभंगा की है, सीतामढ़ी की हैं, पुष्कर की हैं, कुरुक्षेत्र की हैं, बद्रीनाथ की हैं, केदारनाथ की है, अमरनाथ की हैं, कलिग की है, हिंगलाज की हैं, काठमांडू की है, कैलाश की हैं, कोच्ची की है, ढाका की हैं, लंका की हैं, अजन्ता की है, एलोरा की हैं, एलिफैन्टा की हैं, अमरकंटक की, त्रिकुटा की है, आदि आदि .
क्या पुरी दुनिया के इतिहास में भारतीय उपमहादीप के अलावा कहीं और आर्यों की गाथाएँ मिलती है ? तो यह वामपंथी किस आधार पर आर्यों को विदेशी बताते हैं ? यदि विदेशी बताते भी हैं तो यह क्यों नहीं बताते कि - किस देश के थे. क्या आर्यों के ग्रन्थ, भग्नावशेष या मंदिरों के अलाबा उनसे पुराना दुनिया में कहीं भी कुछ है क्या ?भारत का ऐसा प्रत्येक नागरिक भारत का मूलनिवाशी है जो - भारतीय संस्कति और भारत के पूर्वजों का सम्मान करता है और हर वह व्यक्ति अवांछनीय है जिसकी आस्था भारत के बजाये विदेशी संस्कति, विदेशी बिचार अथवा विदेशी पूर्वजो में हैं. ऐसे लोगों का डीएनए भले ही भारतीय हो लेकिन इनकी सोंच विदेशी ही है .
क्या पुरी दुनिया के इतिहास में भारतीय उपमहादीप के अलावा कहीं और आर्यों की गाथाएँ मिलती है ? तो यह वामपंथी किस आधार पर आर्यों को विदेशी बताते हैं ? यदि विदेशी बताते भी हैं तो यह क्यों नहीं बताते कि - किस देश के थे. क्या आर्यों के ग्रन्थ, भग्नावशेष या मंदिरों के अलाबा उनसे पुराना दुनिया में कहीं भी कुछ है क्या ?भारत का ऐसा प्रत्येक नागरिक भारत का मूलनिवाशी है जो - भारतीय संस्कति और भारत के पूर्वजों का सम्मान करता है और हर वह व्यक्ति अवांछनीय है जिसकी आस्था भारत के बजाये विदेशी संस्कति, विदेशी बिचार अथवा विदेशी पूर्वजो में हैं. ऐसे लोगों का डीएनए भले ही भारतीय हो लेकिन इनकी सोंच विदेशी ही है .
दरअसल वामपंथियो ने हिन्दुओं के दिमाग से अंग्रेजों और मुघलो के प्रति नफरत ख़त्म करने के लिए यह प्रोपोगंडा किया था. हिन्दुओं को समझाया गया कि - तुम भी विदेशी हो इसलिए इन विदेशियों से झगडा मत करो. इन लोगों ने ही भारतीय संस्क्रति को घटिया बताकर इस्लाम, अंग्रेजियत और कम्युनिज्म को बढिया बताने की चाल चली थी
और हाँ भारत का नाम भारत भी आर्य राजा सम्राट भरत के नाम पर है
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