कोई भी संस्था या कोई भी देश किस तरह से चलेगा, उसके लिए कुछ निश्चित नियम बनाए जाने की आवश्यकता होती हैं. उन नियमो के संग्रह या नियमावली को उनका संविधान कहा जाता हैं. सभी देशों के अपने अपने संविधान हैं जो उन्होंने अपनी अपनी परम्पराओं, मान्यताओं, प्राक्रतिक परिस्थितयां और जीवन शैली के अनुसार बनाए गए हैं.

क्योंकि इसमें केवल सलाह के रूप में नियम बताय गए थे, कोई भी इनको मानने के लिए बाध्य नही था. मनु स्मृति के बाद ऐसी और भी कई स्म्रतियां और संहिताए प्रकाश में आईं जिनमे विदुर नीति, कौटिल्य नीति, चार्वाक नीति, रावण संहिता, आदि प्रमुख हैं. इसके अलावा वेदों, पुराणों, रामायण, महाभारत तथा संतों के उपदेश से सन्दर्भ लिया जाता था.
दुनिया में किसी को यदि प्रथम संविधान निर्माता कहा जा सकता है तो वो "ऋषि याज्ञवल्क्य" को कहा जा सकता है. उन्होंने सारे भारतीय उपमहादीप में भ्रमण कर विभिन्न राजाओं की शासन प्रणाली का अध्यन कर "धर्मशास्त्र" ( याज्ञवल्क्य संहिता) की रचना की थी. इसके अनुसार शासन करने वाली प्रणाली को "धर्म सम्मत शासन" कहलाता था.
ज्यादातर सभी राजा अपने राज्य की नीति को निर्धारण करने और न्याय करने के लिए, सलाहकार के रूप में मंत्रियों के अलावा एक राजगुरु को भी रखते थे जो विभिन्न ग्रंथों ( धर्मशास्त्र, वेदों, पुराणों, संहिताओं, स्म्रतियों, उपनिषद, रामायण, महाभारत, आदि) के ज्ञाता होते थे. राजा विभिन्न मुद्दों पर उन से सलाह लेकर अपने विवेक से फैसले लिया करते थे.
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में और भी कई संत और महापुरुष हुए हैं जिन्होंने उन क्षेत्रों में अपने शिष्यों के लिए अलग अलग तरह की नियमावालियां बनाई, उनमे बाइबिल के सिद्धांत और इस्लामी शरीयत कानून प्रमुख हैं. कुछ सौ सालों में अलग अलग देशों ने इस पर काफी काम किया और संविधान को कड़ाई से पालन करने के नियम बनाए हैं.

समय समय पर इसके नियमो की समीक्षा कर, उनमे से अप्रासंगिक हो चुके नियमो को हटाकर नए नियम बना सकते हैं. पिछले 67 सालों में अब तक इसमें 99 संसोधन किये जा चुके हैं. भले ही कुछ बातों पर सभी लोग सहमत न हो तो भी, परिवर्तनशील संविधान होने के कारण हमारा संविधान, संभवतया दुनिया का सबसे जीवंत संविधान है.
Great 🚩🙏🏻
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