Sunday, 21 May 2017

पूजा सामिग्री पर टैक्स तथा मांस के टैक्स फ्री का सच

सरकार की आलोचना करना, बिरोधी पार्टियों का हक़ भी है और कर्तव्य भी. लोकान्त्रिक देश में विपक्षी पार्टियों का सरकार की नीति का बिरोध करने के लिए जागरूक होना ही चाहिए. इससे किसी भी योजना के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू सामने आ जाते हैं.
पिछले दशको में सशक्त विपक्ष की भूमिका जनसंघ / भाजपा तथा भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी ने बहुत अच्छे से निभाई है. समय के फेर ने आज भाजपा को सत्ता में तथा कांग्रेस को विपक्ष में पहुंचा दिया और दुर्भाग्य तथा गलतियों के कारण वामपंथी लगभग ख़त्म हो चुके हैं
कांग्रेस इतने साल सत्ता में रही है कि - उसे विशवास ही नहीं हो रहा कि - अब उसकी कुछ भूमिका विपक्ष के रूप में भी है. ये लोग बिरोध भी करते हैं तो ऐसी बातें करते हैं कि - सरकार को घेरने के बजाय खुद ही फंस जाते हैं क्योंकि वो बिना होमवर्क आरोप लगाते हैं.
अभी परसों से GST को लेकर, अंधबिरोधियों ने जो आरोप लगाना शुरू किया उसने उनको ही उलझा दिया. अंधबिरोधियों का कहना है कि - केंद्र सरकार ने पूजा सामिग्री पर टैक्स लगा दिया है और बीफ को टैक्स फ्री कर दिया है. इसको लेकर मजाक उड़ा रहे हैं.
अब ज़रा इनके इस आरोप कि - पूजा सामिग्री पर टैक्स और मांस को टैक्स फ्री रखने पर चर्चा करते हैं. अपने देश में हमेशा से ही रॉ खाद्यान जैसे - दाल, चावल, आटा, सब्जी, कच्चे मसाले, चिकन, मटन, बीफ, पोर्क, नमक, आदि पर कभी कोई टैक्स नहीं रहा है.
क्योंकि इसे प्राथमिक आवश्यकता माना गया है. किसी भी सरकार को इन पर टैक्स लगाना ही नहीं चाहिए. अब बात करते है पूजा सामिग्री की. तो पूजापाठ का अधिकाँश सामान कुटीर उद्योग में तैयार होता है और कुटीर उद्योग GST में भी टैक्स के दायरे से बाहर है.
केवल ऐसा सामान जो बड़ी फैक्ट्रीज में तैयार होता है और प्रोफेसनल तरीके से पैकेट बंद मिलता है जैसे - कपूर, अगरबत्ती, धूपबत्ती, चायनीज मूतियाँ, आदि टैक्स है, और इन पर भी आज कोई नया नहीं बल्कि बर्षो से टैक्स लगता चला आ रहा है.
इन चीजो पर पहले से ही टैक्स है. और इन पर टैक्स का रोना ज्यादातर वो लोग रो रहे हैं जो खुद को नास्तिक बताते हैं. जिन मांसाहारियों को मॉस उत्पादों पर टैक्स न होने का दुःख है वो चाहे तो, अपने पैसे प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में दान दे सकते हैं.

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