Wednesday, 17 May 2017

देश से ख़त्म हो रहे जातिवाद को फिर से भड़काने की साजिश

समाजसेवियों के प्रयास, शिक्षा के प्रसार तथा बढ़ते अंतरजातीय विवाहों ने जातिवाद को काफी कम कर दिया है. इसका परिणाम निकला कि पिछले तीन साल में हुए चुनावों में जातिवाद कहीं भी हावी नहीं हो पाया. यह देश के उज्ज्वल भविष्य का संकेत है.
लेकिन जिन राजनैतिक पार्टियों की राजनीति ही जातिवाद पर चलती थी वो पार्टियां बहुत बेचैन हैं. उनको पता है कि अगर जात पात ख़त्म हो गया तो उनकी पार्टियों का तो आस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा. इसलिए वो अभी भी वो इसे भड़काने में लगे हुए हैं.
कहीं दो व्यक्तियों में किसी भी बात पर कोई भी व्यक्तिगत झगडा होने पर यह जातिवादी पार्टियां फौरन वहां पहुच जाती हैं और झगडा शांत कराने की कोशिश करने के बजाय उनकी जाति पता करने की कोशिश करती है. अगर उनकी जाती अलग निकली तो खुश.
उन दोनों की अलग जाती का पता चलते ही, ये अराजक तत्व और पार्टियां उस व्यक्तिगत झगडे को, जातीय झगड़ा बताकर, लोगों को भड़काना शुरू कर देते हैं. ऐसा ही काम पहले गुजरात के ऊना में किया गया था और अभी सहारनपुर में किया जा रहा है.
ऊना में हड्डा रोडी के मुस्लिम ठेकेदार ने, चोरी से जानवरों की खाल उतारने वाले अपने पूर्व कर्मचारियों को अपने गुंडों से पिटवाया. पिटवाने वाला मुस्लिम, पीटने वाले ओबीसी से और पिटने वाले दलित और इसे मुद्दा बनाया गया गाय की खाल उतारने पर पिटाई का
ऐसे ही पिछली सरकार के समय में उत्तर प्रदेश में कई जगह मुसलमानो की आपत्ति की बजह से शोभायात्राओं पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया. सरकार बदल जाने के बाद जब लोगों ने फिर से शोभा यात्रा निकालनी चाही तो अराज्कों ने उन पर पथराव किया.
पहले सहारनपुर के एक कसबे में डा.आंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में निकाली गई शोभायात्रा पर मुसलमानों ने पथराव किया. फिर उन तथाकथित मुस्लिम और दलित नेताओं को समझ आ गया कि - इससे तो बीजेपी और मजबूत होगी नइ चाल सोंचने लगे.
कुछ दिन बाद उन्ही अराजक तत्वों ने, महाराणा प्रताप की शोभायात्रा पर पथराव किया और तथाकथित दलित नेताओं ने इसे सवर्ण बनाम दलित झगड़ा बनाने की कोशिश की. जबकि सभी को पता है कि - महाराणा प्रताप से तो किसी भी जाती वाले को आपत्ति नहीं है.
महाराणा प्रताप "महान" की सेना में तो राजपूतों से ज्यादा संख्या कोल और भील जनजातियों के लोगों की थी. महाराणा उनके साथ जमीन पर बैठकर ही भोजन करते थे. एक बार उनके एक सरदार ने ऐतराज किया तो प्रताप ने एक भील को अपनी छाती से लगाकर कहा-
ये हमारी छाती से लग गया, आज से ये क्षत्रीय है और जो मानसिंह वगैरह जैसे राजपूत अकबर की गुलामी कर रहे हैं, मैं उनको क्षत्रीय नहीं मानता. ऐसे महाराणा प्रताप "महान" पर भला कौन भारतीय गर्व नहीं करता है चाहे उसका जन्म किसी भी जाती में हुआ हो.

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