
जानकारी हाशिल करने पर पता चला है कि “लचित बोड़फुकन” असम के
सेनापति और महान योद्धा थे जिन्होंने औरंगजेब के सम्पूर्ण भारत पर कब्जा करने के
सपने को असम में तोड़ दिया था. “लचित
बोड़फुकन” 24 नवंबर 1622 को हुआ था. उनकी वीरता और बुद्धिमत्ता
से प्रभावित होकर असम के राजा “चक्रध्वज सिंह” ने उनको अपना सेनापति बनाया था.

इस पराजय का बदला लेने और पूर्वोत्तर भारत को जीतने का सपना
लेकर औरंगजेब ने एक विशाल सेना, 40 पानी के जहाजों
में, ब्रह्मपुत्र के रास्ते ढाका से गुवाहाटी के लिए रवाना
की. अचानक हुए भीषण हमले में असम के लगभग 10,000 सैनिक मारे गए और “लचित” भी से
घायल हो गए. असम सेना भी एक बार पीछे हटने लगी थी.
लेकिन फिर भी वे एक नाव में सवार हुए और सात नावों के साथ
मुग़ल बेड़े की ओर बढे. उन्होंने सैनिकों
से कहा, "यदि आप में
से कोई वापस जाना चाहता है तो चला जाए लेकिन मैं अपना कर्तव्य छोड़कर पीछे नहीं
हटूंगा. उनकी जोशीली बाते सुनकर पीछे हटते
सैनिक दोगुने जोश के साथ मुग़ल सेना पर टूट पड़े.
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उसके बाद तो उसने मुग़ल सेना को सम्हलने का अवसर ही नहीं
दिया और आधी से ज्यादा मुघल सेना का सफाया कर दिया. बाक़ी मुघल सैनिक अपनी जान
बचाने के लिए भाग गए. यह युद्ध “सराईघाट की लड़ाई” के नाम से जाना जाता है. इस
युद्ध में पराजित होने के बाद किसी मुघल का दोबारा पूर्बोत्तर पर चढ़ाई करने का
साहस नहीं हुआ.
देश आजाद होते ही शिक्षा पर वामपंथी बिचारधारा वालों का
कब्जा हो गया था और उन लोगों ने देश की सच्चे महापुरुषों के बारे में, देश वाशियों
को बताना जरुरी नहीं समझा. मुझे पहली बार उनका नाम तब सुनने को मिला था जब 24 नवंबर को
उनकी जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्मरण किया.

Unfortunately the warriors have been replaced by the treacherous ones .Bharat Ratna is awarded to all but not to Field Marshal K.M.Kariappa ( PBUH) .
ReplyDeleteUnfortunately the warriors have been replaced by the treacherous ones .Bharat Ratna is awarded to all but not to Field Marshal K.M.Kariappa ( PBUH) .
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