Friday, 3 March 2017

शैतान औरंगजेब

हिन्दुस्तान के इतिहास के सबसे जालिम राजा जिसने, अपने पिता को कैद किया, अपने सगे भाइयों और भतीजों की बेरहमी से ह्त्या की, गुरु तेग बहादुर का सर कटवाया, गुरु गोविन्द सिंह के बच्चो को ज़िंदा दीवार में चुनवाया, जिसने सैकड़ों मंदिरों को तुडवाया, जिसने अपनी प्रजा पर वे-इन्तहा जुल्म किये, ब्रज की लोकगाथाओं में उसके अपनी बहन रोशन आरा से भी गलत रिश्ते बताए जाते हैं.
औरंगज़ेब भारत पर राज करने वाला छठा मुग़ल शासक था, वो शाहजहाँ और मुमताज़ की छठी संतान और तीसरा बेटा था. उसका शासन 1658 से लेकर 1707 में उसकी मृत्यु होने तक चला था. औरंगज़ेब ने ‘क़ुरान’ के आधार पर शासन चलाया और काफ़िरो (हिन्दुओं) को मुसलमान बनाने पर जोर दिया. हिन्दुओं पर उसने जजिया कर लगाया. औरंगजेब हिन्दुओं के साथ शूफी संतों को भी इस्लाम का दुश्मन मानता था.
औरंगजेब ने हिन्दू त्यौहारों को सार्वजनिक तौर पर मनाने पर प्रतिबन्ध लगाया और उसने हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया. औरंगज़ेब ‘दारुल हर्ब’ (क़ाफिरों का देश भारत) को ‘दारुल इस्लाम’ (इस्लाम का देश) में परिवर्तित करने को अपना महत्त्वपूर्ण लक्ष्य मानता था. 1669 ई. में औरंगज़ेब ने बनारस के ‘विश्वनाथ मंदिर’ एवं मथुरा के ‘केशव राय मदिंर’ को तुड़वा दिया.
औरंगजेब दिखावा करता था कि वो सादगी का जीवन जीता है जबकि लूट और जजिया के माध्यम से वो अपने समय का सबसे बड़ा धनवान शहंशाह बन गया था. हिन्दू औरतों को उसके राज में ही सर्वाधिक उठवाया गया था. उसका जोर रहता था कि हिन्दुओं के मरने के बाद, उनकी स्त्रियाँ अपनी इज्ज़त बचाने के लिए आत्महत्या न कर सकें. इस जुल्म को भी सेकुलर इतिहासकार "सतीप्रथा" का बिरोध बताते हैं.
यूँ तो औरंगजेब ने सारे भारत पर ही जुल्म किये थे लेकिन उसके अत्याचार से सबसे ज्यादा प्रभावित व्रज और पंजाब हुआ था. उसके समय में ब्रज में आने वाले तीर्थयात्रियों पर भारी कर लगाया गया. मंदिर नष्ट किये गये और हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया गया. तोड़े गये मंदिरों की जगह पर मस्जिद बनाई गईं. हिन्दुओं के दिल को दुखाने के लिए खुलेआम गो−ह्त्या करने की छूट दे दी गई थी.
औरंगज़ेब ने ब्रज संस्कृति को आघात पहुँचाने के लिये ब्रज के नामों को परिवर्तित किया. मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन को क्रमश: इस्लामाबाद, मेमिनाबाद और मुहम्मदपुर कहा गया था. वे सभी नाम अभी तक सरकारी कागजों में रहे आये हैं, जनता में कभी प्रचलित नहीं हुए. कुदरत का करिश्मा देखिये कि ब्रजभूमि पर बे-इन्तहा जुल्म करने वाले औरंगजेब की बेटी "जेबुन्निसा" महान कृष्ण भक्त हुई.
जुल्मी अगर ताकतवर हो तो उसका सामना करने के लिए भी महान लोग जन्म ले लेते हैं. पंजाब में गुरु गोविन्द सिंह एवं बन्दा बहादुर, राजस्थान में दुर्गादास राठौर, बुदेलखंड में वीर छत्रसाल , मथुरा में गोकुला जाट, राजाराम जाट और महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी, आदि ने मुघलों का डट कर सामना किया और औरंगजेब का भारत को ‘दारुल इस्लाम’ (इस्लाम का देश) बनाने का सपना तोड़ दिया था.
उसकी मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन 1707 ई. में हो गई. उसकी मौत को कुछ लोग सामान्य मौत मानते हैं, तो कुछ लोगों का यह मानना है कि - वीर छत्रसाल ने अपने गुरु प्राणनाथ के दिए खंजर से औरंगजेब पर बार करके छोड़ दिया था. कहा जाता है कि - गुरु प्राणनाथ ने उस खंजर पर कुछ ऐसी दवा लगाईं थी कि - उससे होने वाला घाव कभी सही न हो और घायल काफी समय तक तड़पते हुए दर्दनाक मौत मरे.
ऐसी दर्दनाक मौत देने का उनका उद्देश्य था औरंगजेब के द्वारा भारतवाशियों को दिए गये दर्द की याद दिला दिला कर मारना. औरंगशाही में औरंगजेब ने स्वयं लिखा है कि- "मुझे प्राण नाथ और छत्रसाल ने छल से मारा है " दौलताबाद में स्थित फ़कीर बुरुहानुद्दीन की क़ब्र के अहाते में उसे दफना दिया गया. औरंगजेब की कट्टर नीति ने इतने विरोधी पैदा कर दिये, कि मुग़ल साम्राज्य का अंत ही हो गया.
हैवान "औरंगजेब" की मौत की बरसी (3-मार्च) पर उस हैवान को बारम्बार "धिक्कार"

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