उत्तर प्रदेश में आतंकियों की शरणस्थली कहे जाने वाले मुस्लिमबहुल आजमगढ़ में, 2006 में हिंदूवादी छात्र नेता 'अजित सिंह' की हत्या कर दी गई थी. उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी. 'अजित सिंह' की तेरहवीं पर उसके परिवार को सांत्वना देने के लिए "योगी जी" अपने साथियों के साथ उनके घर जा रहे थे.
लेकिन रास्ते में "ताकिया" नाम के गाँव में योगी के और उनके साथियों पर हथियारबंद लोगों ने हमला बोल दिया. इस हमले में योगी जी और उनके साथी घायल हो गए थे. योगी जी उस समय सांसद थे और उनको सरकारी वाडीगार्ड मिले हुए थे. सांसद योगी जी के वाडीगार्ड्स ने अपनी जानपर खेलकर किसी तरह उनकी रक्षा की थी.
उस समय मुलायमसिंह ने तुष्टीकरण और अन्याय की पराकाष्ठा दिखाते हुए, हमलावरों पर कार्यवाही करने के बजाय, पीडितो को ही गिरफ्तार कर लिया. मुलायम को इतने से भी संतोष नहीं हुआ उसने योगी जी को 11 दिन जेल में बंद रखकर प्रताड़ित किया, जबकि जो धारार्यें लगी थीं उनमें 12 घटे में थाने से जमानत देने का प्रावधान है.
इसके अलावा मुलायम ने गोरखपुर से उनके समर्थको और भक्तो को भी गिरफ्तार करवा लिया. योगी जी अपने लिये कभी परवाह नहीं की थी लेकिन अपने समर्थकों का ये हश्र देखकर बिचलित हो गए. उन्होंने निरपराधों को छोड़ने की मांग की. संसद में इस घटना पर बोलते हुए, वे निरपराध लोगों पर हुई बर्बरता को याद कर रो पड़े थे.
उस समय बिकाऊ मीडिया ने पूरी घटना के बारे में विस्तार से बताने के बजाय, योगी जी के रोने को बार बार दिखाया और उसका खूब मजाक उड़ाया था. आज प्रदेश की जनता ने योगी जी के हाथ में सत्ता सौंप दी है और वो मुलायम राजनीति तो क्या अपने घर में भी उपेक्षित पडा हुआ है, उसका बेटा तक उसकी बात नहीं सुनता है.
हम योगी जी से निवेदन करते हैं कि - अपने आपको महान दिखाने के चक्कर में उनको माफ़ नहीं करना. उस घटना के जिम्मेदार नेताओं, सरकारी अधिकारियों, पुलिस वालो, पत्रकारों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिये. जिस तरह से आप संसद में रोये थे उसी तरह यह लोग सड़कों पर रोते हुए दिखाई देने चाहिये. जय श्री राम , हर हर महादेव
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