Friday, 24 March 2017

अवैद्ध क़त्लखाने और वैद्ध क़त्ल खाने में कया फर्क है ?

अवेद्ध कत्लखानो के बंद होने पर जिस तरह से, कहीं बेरोजगारी, कहीं चिड़ियाघर में मांस की कमी, कहीं टुंडे कबाब का बंद होना, कहीं प्रोटीन की कमी, आदि का रोना रोया जा रहा है उसे देखकर, योगी सरकार की दूरदर्शिता का पता चलता है. अंध बिरोधी लोग जिस तरह से अवैद्ध धंधे तक का समर्थन करने को तैयार हैं तो सोंच लीजिये कि अगर वैद्ध -अवैद्ध दोनों कत्लखाने बंद करने का आदेश दिया होता तो यह लोग क्या कर रहे होते ?
तब तो इन अंध बिरोधियों ने हंगामा काट दिया होता और कोर्ट से स्टे भी ले आते और फिर से वैद्ध कत्लखानो की आड़ में अवैध कत्लखाने भी चालु कर लिए होते. सबसे पहले यह समझ लें कि वैद्ध और अवैद्ध कया होता है. जब आप कोई भी फैक्ट्री लगाते हैं तो आपको कई सारे विभागों से अनुमति लेनी होती है. कुछ निश्चित दिशा निर्देश मिलते हैं उनके अनुसार ही आप काम कर सकते हैं, जिनकी निगरानी ये महकमे करते हैं.
सबसे पहले यह देखा जाता है कि आप कया काम करेंगे. जिस जगह पर आप कारखाना लगाना चाहते हैं असके आसपास रहने वालो को उस काम से कोई परेशानी तो नहीं होगी. फिर आपको अपनी मशीनरी की अनुमति लेनी होती है कि आप जो मशीनरी इस्तेमाल करेंगे वह सुरक्षित है अथवा नहीं, मशीनरी की अधिकतम प्रोडक्सन क्षमता कया है, उसके बाद आपको पल्युसन कंट्रोल डिपार्टमेंट से अनुमति लेनी होती है.
आपको यह सुनिश्चित करना होता है कि- आपके प्लांट से कोई पल्युसन नहीं होगा और धुवा, गंदा पानी, शोर, कचरा, आदि तय सीमा से जयादा नहीं होगा. उनके बाद आता है लेवर डिपार्टमेंट जो यह देखता है कि आपके कर्मचारी को तय मानको के हिसाब से माहोल मिल रहा है अथवा नहीं, ईएसआई आदि लागू है या नहीं. इसके बाद सेफ्टी डिपार्टमेंट आग आदि से सुरक्षा देखता है. फिर सेलटेक्स और एक्साइज विभाग का काम आता है
आप पूरे महीने में जितना रॉ-मैटेरियल खरीदते हैं और जितना माल सेल करते हैं, अगले महीने उसकी रिटर्न आपको सेल टैक्स विभाग में जमा करनी होती है और उसका बनता टैक्स जमा करना होता है. साल के बाद कम्पनी और मालिको ने व्यक्तिगत जितना लाभ कमाया होता है उसके अनुसार इंकमटैक्स जमा करना होता है. इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि आपने जिस काम के लिए बिजली ली है वही काम कर रहे हैं या कोई और.
इन सबके अलाबा भी केंद्र और राज्य सरकार द्वारा समय समय पर जो अधिसूचनाए जारी की जाती हैं उद्यमी को उनका भी पालन करना होता है. जबकि अवेद्ध कारोबार में कोई नियम नहीं होता है.यहा केवल मालिक की मर्जी चलती है, ज्यदातर ऐसे लोग दबंग और अपराधी प्रव्रत्ति के होते हैं. ये लोग रिश्वत के दम पर अधिकारियों और नेताओं को खरीद लेते हैं. सभी नियमो को ताक पर रखकर सरकार को चुना लगाते हैं.
आज जिन अवैद्ध कत्लखानो को बंद कराया जा रहा है वो रातोंरात नहीं खुले थे, बलकि बर्षों से चल रहे थे. आम जनता से लेकर सरकार के सभी विभागों को उनकी जानकारी थी. मगर नेताओं का संरक्षण होने के कारण अधिकारी भी हाथ डालने से डरते थे. आज केवल नेता बदले हैं बाक़ी सारे अधिकारी वही हैं लेकिन नए नेता के आदेश देते ही अवैद्ध क़त्लखानों और लड़कियों को परेशान करने वाले मजनूओं पर कार्यवाही शुरु हो गई.

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