Friday, 15 March 2019

क्या किसी भारतीय को "हिटलर" ने नफरत करनी चाहिए ?

 हिटलर हमारे सबसे बड़े दुश्मन अंग्रेजों का दुश्मन था और दुश्मन का दुश्मन हमेशा ही मित्र होता है. हिटलर को आप कितना भी बुरा कह लें, लेकिन वो भारत का दुश्मन हरगिज नहीं था. हिटलर का समर्थन और सहयोग तो तो हमारे "नेताजी सुभाष चन्द्र बोस" भी करते थे क्योंकि हिटलर हिन्दुस्तान के सबसे बड़े दुश्मन अंग्रेजों का दुश्मन था.
हिटलर का बिरोध केवल अंग्रेजों के वो भारतीय गुलाम करते थे, जो अंग्रेजों को दिल से अपना मालिक स्वीकार कर चुके थे. अंग्रेजों के वो मानसिक गुलाम हिटलर तो क्या भारतीय क्रांतिकारियों तक को पसंद नही करते थे. हिटलर ने क्या कभी भारत को कोई नुकशान पहुंचाया ? भारतीयों द्वरा हिटलर के बिरोध का तो कोई कारण ही नहीं बनता है.
हिटलर केवल उन यहूदियों से नफरत करता था जो जर्मनी में रहकर बफादारी इंग्लैण्ड के प्रति दिखाते थे. विश्व युद्ध में हिटलर का साथ बौद्धों का सबसे ताकतवर देश वो "जापान" भी दे रहा था जो दुनिया के सारे बौद्धों का आदर्श है, यहाँ तक कि - हिटलर का साथ तो वो "इटली" भी दे रहा था जहाँ की बेटी, आज भारत के कांग्रेसियों की राजमाता है.
अगर कोई किसी भारतीय व्यक्ति या भारतीय संगठन को हिटलर समर्थक बताता हैं तो वह उसकी बुराई नहीं बल्कि तारीफ़ करता है. अंग्रेजों का हर शत्रु भारत का मित्र माना जाना चाहिए. हो सकता मेरे द्वारा हिटलर की तारीफ़ करने पर आप मुझे बुरा कहे, लेकिन "नेताजी सुभाष चन्द्र बोस" द्वारा हिटलर का साथ देने पर आप क्या कहेंगे?
हमारा देश गाँधीजी के कहने पर अंग्रेजो की ओर से लड़ने वाले, वेतनभोगी भारतीय सैनको को सम्मान नहीं देता है बल्कि आजाद हिद फ़ौज के लिए लड़ने वाले स्वयंसेवी सैनिको को सम्मान देता है. उल्लेखनीय है कि - विश्वयुद्ध में "नेताजी सुभाष चन्द्र बोस" और उनकी "आजाद हिन्द फ़ौज" ने हिटलर का साथ दिया था और महात्मा गांधी ने अंग्रेजो का
आज हमारा देश आजाद है तो इसमें बहुत बड़ा हाथ "हिटलर" का भी है. हिटलर विश्वयुद्ध भले ही हार गया था मगर उसने अंग्रेजों की कमर तोड़कर रख दी थी. गांधी का आन्दोलन तो 1942 में ही असफल साबित हो गया था. विश्वयुद्ध में इंग्लैण्ड की बर्बादी और आजाद हिन्द फ़ौज की बहादुरी ने अंग्रेजों को भागने पर मजबूर किया था.

1 comment:

  1. एक दम सही... हिटलर ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया

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