Sunday, 3 March 2019

अच्छा हुआ जो नालायक "गोडसे" को फांसी पर लटका दिया गया

"नाथूराम गोडसे" एक बहुत ही मामूली इंसान था. वो मामूली इंसानों के बीच से ही आया था और मामूली इंसानों के बीच ही रहता था. वो कोई महान इंसान नहीं था और न ही उनको अपने आपको कोई महान आत्मा कहलवाने की सनक थी.
वो एक बेबकूफ था क्योंकि - वो पापिस्तान से विस्थापित होकर आये हुए हिन्दुओं के लिए, रोटी और कम्बल जुटाने में की कोशिश में पागलों की तरह दिन रात लगा रहता था. उसको अगर कोई सनक थी तो सिर्फ राष्ट्रवाद की सनक थी.
उससे बड़ा मूर्ख और कौन होगा जो उस समय उच्च माने जाने वाले, चित्पावन ब्राह्मण परिवार से होने के बाबजूद, गाँव-गाँव घूम-घूम कर छुआछूत मिटाने और अछूतों के साथ बैठ कर खाने का, लोगों को खिलाने का आयोजन किया करता था .
वह अपने से आधी / तिहाई उम्र की लड़कियों के साथ नग्न सोकर कोई ब्रह्मचर्य का प्रयोग नहीं करता था बल्कि बाल ब्रह्मचारी बजरंगवली को अपना आदर्श मानते हुए आजीवन अविवाहित रहे हुए और बड़ी छोटी हर महिला को माता कहता था.
उसको कोई "बिडला" या "बजाज" भी ब्लैंक चेक नहीं देता था क्योंकि उसमे अंग्रेजों से कहकर उनके हित में पालिसी बनवाने की क्षमता नहीं थी. वो बेबकूफ, नेहरु के नेशनल हेराल्ड जैसे अखबार के सामने राष्ट्रवादी बिचारधारा वाला अखवार निकालता था.
उसकी इतनी औकात भी नहीं थी कि - कोई अंग्रेज उसको अपने घर बुलाता और अंग्रेजने उसके गले में बाहें डालकर सिगरेट और शराब पीतीं. उसे कपडे पहनने तक की तमीज नहीं थी.वो सूट बूट पहनने वालों के सामने धोती कुरता पहनता था.
इधर चाचा नेहरु आजादी का जश्न मना रहे थे उधर वो नालायक बंटबारे में मारे गए हिन्दुओं का मातम मना रहा था. उस नालायक को इतना भी पता नहीं था कि - देश की आजादी के सामने दस लाख हिन्दुओं की जान की कीमत कुछ भी नहीं है.
भारत से अलग होते ही पापिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था. ऐसे में उसे भारतीयों को मारने के लिए हथियार चाहिए थे और हथियार के लिए पैसा. गांधी जी उस समय पापिस्तान को साठ करोड़ रूपए नहीं देते तो पापिस्तान बराबरी का मुकाबला कैसे करता ?
बंटबारे के कारण पापिस्तान दो हिस्सों में बंट गया था और पूर्वी पापिस्तान से पश्चिमी पापिस्तान जाने का सीधा रास्ता नहीं था ऐसे में अगर बापू उसको दस मील चौड़ा गलियारा देना चाहते तो, इत्ती सी बात उस हत्यारे को उन्हें गोली मारने की क्या जरूरत थी?
अच्छा हुआ जो नालायक "गोडसे" को फांसी पर लटका दिया गया

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