सभी राष्ट्रवादियों से निवेदन है कि - देशद्रोहियों का प्रतिकार अवश्य कीजिए लेकिन इसके लिए न तो कभी कानून को हाथ में ले और न ही कभी अपशब्द मुह से निकालें. क्योंकि ऐसा करने से सही होते हुए भी, आप कई बार गलत मान लिए जाते हैं. हमें इन राष्ट्रविरोधी तत्वों का सामना करना है लेकिन अपनी श्रेष्ठता को कायम रखते हुए.
हमें किसी से झगडा करके नहीं, बल्कि बौद्धिकता के सहारे दश और हिदुत्व के दुश्मनों द्वारा किये जा रहे कुप्रचार का सामना करना चाहिए. ये देशद्रोही अपने कुतर्कों से जो जहर फैलाने का प्रयास करते हैं और आम लोगों को भ्रमित कर देते हैं. हमें उनके कुतर्कों और झूठ का सामना भी तथ्य और तर्क के अमृत के साथ ही करन चाहिए.
लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि- हमें खुद भी सत्य की जानकारी हो. यह जानकारी हमें केवल अध्यन से ही मिल सकती है. हमें अधिक से अधिक राष्ट्रवादी साहित्य और राष्ट्रवादियों के ब्लॉग पढने चाहिए. जब हमारे पास स्पष्ट और सटीक जानकारी होगी तभी हम उन कुतर्कियों को निरुत्तर कर, सही बात लोगों को समझा पायेंगे.
अगर आपको पता चलता है कि - कहीं कोई देशद्रोही भारत बिरोधी कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है तो वहां जाकर झगडा करने के बजाय, किसी तरह उसकी वीडियों बनाने का प्रयास कीजिए. उनसे ऐसे सवाल कीजिए जिससे उनके उस बौद्धिक जहर सच्चाई जनता के सामने आ सके. उनकी सच्चाई सामने आने के बाद जनता उनको खुद दौड़ायेगी.
अगर कोई भारत में बढ़ती असहिष्णुता का मुद्दा उठाये, तो आप उनको बताएं कि असहिष्णुता नहीं बढ़ी है बल्कि अब भारत ने दुष्टों का प्रतिकार करना शुरू कर दिया है. उनको बताएं कि - असहिष्णुता तो वो थी जब आप सलमान रश्दी की किताब, तश्लीमा नसरीन की किताब, कार्टून का बिरोध, तारिक फ़तेह, आदि का बिरोध कर रहे थे.
अगर कोई गुजरात 2002 की बात करे तो आप "गोधरा ट्रेन काण्ड", 1992 के दंगे, 1984 का कत्लेआम, मेरठ के दंगे, भागलपुर के दंगे, आजमगढ के दंगे, 1947 का बंटबारा, 1931 में भगतसिंह की फांसी के बिरोध में रखे गए बंद के खिलाफ हुए कानपुर दंगेे, खिलाफत के समय हुए मालाबार, मुल्तान और कोहाट के दंगे की याद दिलाइये.
कांग्रेसी अगर यह कहे कि - देश को गांधी, नेहरु ने आजाद कराया तो उनसे यह अवश्य पूँछिये कि - उन्होंने कैसे कराया था इस बारे में विस्तार से बताये ? अगर कोई सावरकर, गोडसे, सुभाष, आजाद, आदि के खिलाफ झूठ लिखे तो उनकी पोस्ट पर उसके जबाब में इन महापुरुषों का सच बताइये गांधी, नेहरु, आदि कांग्रेसियों की पोल खोलिए.
आपके रीति रिवाज का मजाक बनाने वाले से, औरतों के अधिकार, तीन तलाक, हलाला, वाल विवाह, बहु विवाह, अँधाधुंध बच्चे, जेहाद, आदि पर सवाल कीजिए. उनको बताइये कि - हम तो समय समय पर अपने रीति रिवाज का सिंहावलोकन करके उनमे समयानुकूल बदलाब करते रहते हैं लेकिन आप तो डेढ़ हजार साल पुरानी कुप्रथाओं को ढो रहे हैं.
अगर कोई भारत के टुकड़े करने की बात करे तो उसके सामने पापिस्तान के टुकड़े करने की बात कीजिए. जितने जोर से वो कश्मीर की बात करे उससे ज्यादा जोर से बलुचिस्तान, सिंध, POK, तिब्बत, ताइवान, को अलग करने पर चर्चा कीजिए. कश्मीर के इतिहास और आजादी के समय कश्मीर पर नेहरु की गलतियों पर खुली चर्चा कीजिए.
राष्ट्रवादी मुद्दों को लेकर छोटे बड़े कार्यक्रम कीजिए और उनकी खबर को अखबारों में लगबाइये. अखबार न छापे तो सोशल मीडिया पर डालिए. बंटबारा, आपातकाल, 1984 के कत्लेआम, मुलायम द्वारा कारसेवकों पर गोली, मायावती की मूर्तियाँ, केजरीवाल के झूठ, ममता के तुश्तीकरण जैसे मुद्दे को बार बार, पुरे तथ्यों के साथ जनता के सामने रखिये.
अगर कोई मुस्लिम हिन्दुओं में जातिबाद भड़काने की कोशिश करते हुए ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, यादव, दलित, कुर्मी, आदि को गालियाँ दे तो आप इसके प्रत्युत्तर में शिया, सुन्नी, कुर्द, यजीदी, वहाबी, सैय्यद, अंसारी, इदरीसी, कुरैशी, मिराशी, आदि पर सवाल पूँछिये. देख लेना वो इसका जबाब देने के बजाय आपको ब्लोक करके भागेगा.
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