आरक्षण, सिफारिश और रिश्वत से भर्ती हुए सरकारी कर्मचारी,
योग्यता देखकर भरती करने वाली प्रोफेशनल कम्पनियों का मुकाबला नहीं कर सकती
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आज जो लोग BSNL के कर्मचारियों को तनखा न मिलने को लेकर पोस्ट डाल रहे हैं, उनका मोबाइल अगर चेक करेंगे तो पायेंगे कि उनके मोबाइल में जियो का ही सिम होगा BSNLका नहीं. अपनी इस बदहाली के लिए BSNL के कर्मचारी खुद जिम्मेदार है. जब सरकारी कम्पनिया तब तक ही चल सकती है जब तक वो उस क्षेत्र में अकेली हो.
योग्यता देखकर भरती करने वाली प्रोफेशनल कम्पनियों का मुकाबला नहीं कर सकती
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आज जो लोग BSNL के कर्मचारियों को तनखा न मिलने को लेकर पोस्ट डाल रहे हैं, उनका मोबाइल अगर चेक करेंगे तो पायेंगे कि उनके मोबाइल में जियो का ही सिम होगा BSNLका नहीं. अपनी इस बदहाली के लिए BSNL के कर्मचारी खुद जिम्मेदार है. जब सरकारी कम्पनिया तब तक ही चल सकती है जब तक वो उस क्षेत्र में अकेली हो.
जब भी उन सरकारे कम्पनियों के सामने कोई भी प्रोफेसनल कम्पनी काम करने लगती है, जनता उन सरकारी कम्पनिययों को छोड़ देती है. केवल बीएसएनएल ही नहीं कोई भी सरकारी कम्पनी देख लीजिये, वहां केवल भ्रष्टाचार ही दिखाई देगा. उसके अलावा ये लोग घटिया सर्विस और अपने ग्राहकों से खराब व्यवहार के लिए भी जाने जाते हैं.
आरक्षण, सिफारिस और रिश्वत के द्वारा भर्ती हुए अयोग्य कर्मचारियों से आप ज्यादा अच्छे परिणाम की उम्मीद भी नहीं कर सकते. जबकि प्रोफेशनल कम्पनिया केवल योग्य व्यक्तियों को ही अपने कर्मचारी के रूप में चुनती है. BSNL ही क्या जनता तो दूरदर्शन, पोस्ट आफिस, सरकारी स्कूल, सरकारी हस्पताल, सरकारी बस, आदि सब छोड़ चुकी है.
जिनकी उम्र 40 से ऊपर है और जिन्होंने बीएसएनएल का लैण्डलाइन फोन इस्तेमाल किया है उनको पता होगा कि - कनेक्शन लेने से लेकर बिल जमा करने तक, इन निकम्मे और भ्रष्ट कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों को कितना परेशान किया जाता था. आज जब ग्राहकों के पास अच्छे विकल्प मौजूद हैं तो वो इन निकम्मों से सर्विस क्यों लेंगे भला ?
जिन लोगों को BSNL के कर्मचारियों पर दया आ रही है वे लोग jio को छोड़ दें और BSNL का फोन इस्तेमाल करें. और भी अच्छा होगा अगर वो प्राइवेट टीवी चैनल छोड़कर दूरदर्शन देखे, प्राइवेट हस्पताल में इलाज कराने के बजाये सरकारी हस्पताल में इलाज कराये, बच्चों को सरकारे स्कूल में भेजें और कोरियर के बजाये डाकखाना इस्तेमाल करें.
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