पिछले दिनों देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिनमे भाजपा को पंजाब को छोड़कर हर जगह जीत हाशिल हुई. पंजाब में भी जो परिणाम आये वो भी हमारी उम्मीद के हिसाब से ठीक ही थे. मेरी फ्रैंडलिस्ट में मौजूद मित्र जानते ही हैं कि- मैं पंजाब में रहता हूँ और पंजाब में मेरा वोट है उसके बाबजूद मैंने उ. प्र. के चुनाव पर ही लिखा और प्रचार किया.
दरअसल पंजाब में पिछले दस साल से कहने को तो अकाली + भाजपा गठबंधन सरकार थी, लेकिन भाजपा की हैशियत सरकार में न के बराबर थी. भाजपा कार्यकर्त्ता बुरी तरह से उपेक्षित थे. किसी भी सरकारी विभाग में भाजपा वालो की कोई सुनवाई नहीं थी. अकाली दल के छुटभैये नेताओं को भी भाजपा के सीनियर नेताओं के ऊपर महत्त्व मिलता था.
2007 से 2012 वाले कार्यकाल में तो फिर भी थोड़ी बहुत गनीमत थी क्योंकि भाजपा के 19 विधायक थे और सरकार उनके समर्थन पर टिकी थी, लेकिन 2012 से 2017 वाला कार्यकाल काफी खराब था क्योंकि तब बीजेपी के केवल 12 विधायक थे और अकाली दल के पास अपना खुद का बहुमत था. इसके अलावा अकाली नहीं चाहते थे कि भाजपा जयादा आगे बढे.
भाजपा कार्यकर्त्ता काफी समय से अपनी छटपटाहट शीर्ष नेत्रत्व को दिखा रहे थे लेकिन शीर्ष नेतृत्व पुराने संबंधों की दुहाई देकर कार्यकर्त्ताओं को खामोश कर देता था, इसकी बजह से कार्यकर्ता बहुत निराश हो गए थे. सिद्धू ने आवाज उठाई तो सिद्धू को ही पार्टी से बाहर कर दिया गया. अकाली दल के लिए भाजपा कार्यकर्ता की हैशियत मुफ्त के मजदूर से ज्यादा नहीं थी.
इन बातों के कारण इस बार पंजाब में भाजपा कार्यकर्ता काफी उदासीन रहे. भाजपा और मोदी जी को समर्थन करने वाले वोटर भी कांग्रेस और आआपा में चले गए और उनको रोकने का कोई प्रयास भी नहीं किया गया. यही सब कारण अकाली + भाजपा गठबंधन की हार का कारण बने. मैं इसको भाजपा के अच्छे भविष्य की नीव का पत्थर मानकर देख रहा हूँ.
हम उम्मीद करते हैं कि - शीर्ष नेत्रत्व गठबंधन की शर्तों की समीक्षा कर इसे पुनः परिभाषित करेगा. अब या तो बराबरी का गठबंधन होगा या फिर भाजपा अकेले मैदान में उतरेगी. आने वाला समय पंजाब में भाजपा के लिए बहुत अच्छा है. बस भाजपा कार्यकर्ता एकजुट रहे और हार के लिए एक दुसरे को जिम्मेदार ठहराने के बजाय गठबंधन की समीक्षा की मांग करें.
अब इसी साल के आखिर में पंजाब में नगर निगमों के चुनाव होने वाले हैं. भाजपा को यह चुनाव अकेले लड़ना चाहिये. अगर भाजपा यह चुनाव अकेले बिना किसी गठबंधन के लडती है तो हमें पूर्ण विशवास है कि भाजपा भारी जीत हाशिल करेगी. भाजपा का बड़ा जनाधार है जो भाजपा को तो जिताना चाहता है मगर अकाली को उनके ऊपर नहीं देखना चाहता.
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