Friday, 21 April 2017

पपिस्तान हमारा दुश्मन क्यों है ?

पापिस्तान कभी भारत का अभिन्न अंग था तो फिर आखिर ऐसा क्या हो गया कि वो भारत से अलग हो गया और भारत का दुश्मन बन गया. आखिर पापिस्तानी हिस्से के नागरिकों से शेष भारत ने ऐसा क्या अन्याय किया कि वो भारत को शत्रु मानता है.
इसकी एकमात्र बजह है भारत के उस हिस्से में मुसलमानो का बहुसंख्यक हो जाना. अगर आप अंग्रेजो से भारत को आजाद करने की लड़ाई का इतिहास उठाकर देखें तो आपको पापिस्तान और बंगलादेश में आजादी की लड़ाई की कोई बड़ी घटना देखने को नहीं मिलेगी.
लाहोर, सिंध, चटगाँव में भी जितनी क्रन्तिकारी घटनाये देखने को मिलती है उनमे भी आपको लाला लाजपत राय, भगत सिंह, हेमू कलाणी, मास्टर सूर्यसेन, आदि जैसे नाम ही दिखाई देते है. खान, हुशेन, अली, आदि जैसे सरनेम वाले नाम बहुत मुस्किल से दिखेंगे.
लेकिन जब भारतीय मूल के क्रांतिकारियों की कुर्बानियों से देश आजाद होता दिखाई देने लगा, तो ये मुस्लिम लोग मुस्लिम बहुल इलाकों को भारत से अलग करने में लग गए और अंग्रेजों की चापलूसी कर देश का बहुत बड़ा हिस्सा लेने में कामयाब हो गए.
अलग देश लेने के बाद भी ये लोग चैन से नहीं बैठे और लगातार भारत पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हमले करते रहे. आजाद भारत में भी जिन राज्यों में कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा थी वहां अन्य का जीना मुश्किल किया है.
पापिस्तान के अलग होने, पापिसान के दुश्मन बनने, कश्मीर में अलगाववाद होने, केरल / बंगाल / उ.प्र. के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बार बार दंगा होने की बजह वहा मुस्लिम ज्यादा होना ही है. अगर देश को बचाना है तो हिन्दू धर्म और भारतीय संस्क्रती को बचाना होगा.

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