महान विचारक और समाज सुधारक "महात्मा ज्योतिवा फुले" जी के
जन्मदिवस (11 अप्रेल ) पर सारे देशवासियों को हार्दिक बधाई.
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ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रेल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०) महान समाज सेवी तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे. महिलाओं, पिछड़ों और दलितों के उत्थान के लिय इन्होने अनेक कार्य किए. समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे. सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में "सत्य शोधक समाज" नामक संस्था का गठन किया और "दीं बंधू" नामक समाचार पत्र भी निकाला था.
जन्मदिवस (11 अप्रेल ) पर सारे देशवासियों को हार्दिक बधाई.
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ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रेल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०) महान समाज सेवी तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे. महिलाओं, पिछड़ों और दलितों के उत्थान के लिय इन्होने अनेक कार्य किए. समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे. सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में "सत्य शोधक समाज" नामक संस्था का गठन किया और "दीं बंधू" नामक समाचार पत्र भी निकाला था.
उनका परिवार कई पीढ़ी पहले "सतारा" से "पुणे" आ गया था. फूलों के गजरे बनाने बाले और माली के काम में लगे ये लोग 'फुले' के नाम से जाने जाते थे. इनका विवाह 1840 में सावित्री बाई से हुआ, जो बाद में स्वयं एक मशहूर समाजसेवी बनीं. समाज कल्याण के क्षेत्र में दोनों पति-पत्नी ने साथ मिलकर काम किया था. ज्योतिबा फुले भारतीय समाज में प्रचलित जाति आधारित विभाजन और भेदभाव के खिलाफ थे.
स्त्रियों की दशा सुधारने और उनकी शिक्षा के लिए ज्योतिबा ने 1854 में एक स्कूल खोला था. यह इस काम के लिए देश में पहला विद्यालय था. लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उन्होंने कुछ दिन स्वयं यह काम करके, अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को ट्रेनिंग देकर इस योग्य बना दिया. "सावित्री बाई फुले" को आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है. आज की प्रत्येक शिक्षित महिला को दिल से उनका आभारी होना चाहिए .
ज्योतिबा ने ब्राह्मण पुरोहित के बिना ही विवाह संस्कार आरंभ कराया और इसे मुंबई हाईकोर्ट से मान्यता भी दिलवाई. वे बाल-विवाह के सख्त विरोधी थे और विधवा विवाह के प्रबल समर्थक थे. ज्योतिवा फूले नारी शिक्षा के लिए प्रयास करने वाले शुरूआती लोगों में एक हैं. ज्योतिवा को सम्मान देते हुए उ.प्र. के अमरोहा जिले का नाम " ज्योतिवा फूले नगर" तथा बरेली की रूहेलखंड यूनिवर्सिटी (बरेली) का नाम "महात्मा ज्योतिवा फूले विश्व विधयालय" रखा गया गया है
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