Thursday, 28 February 2019

क्या है जेनेवा संधि

कल भारत के विंग कमांडर "अभिनंदन वर्धमान" को रिहा किया जायेगा. ऐसा जेनेवा संधि के तहत किया जा रहा है. लेकिन यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि - नियम कानून भी तब लागू हो पाते है जब आपमें ताकत है. यह निश्चित रूप से भारत कि कूटनीतिक सफलता का बहुत बड़ा सबूत है. इसके सरकार निश्चित रूप से साधुवाद की पात्र है.
आइये अब ज़रा यह जान लें कि - जेनेवा संधि क्या है ? पूरे विश्व में कहीं भी युद्ध होने पर युद्धबंदियों के अधिकारों को बरकरार रखने के कुछ नियम बनाए गए इनको जेनेवा समझौते (Geneva Convention) के नाम से जाना जाता है. जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं,
युद्ध के हालात में भी मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी. इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी. इसमें साफ तौर पर ये बताया गया है कि युद्धबंदियों (Prisoner of War) के क्या अधिकार हैं
जेनेवा समझौते में दिए गए अनुच्छेद 3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार होना चाहिए. इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं.
इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों पर केवल मुकदमा चलाया जा सकता है, लेकिन उन युद्धबंदी सैनिको को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी. युद्धबंदियों (POW) के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए. साथ ही युद्धबंदियों को डराया-धमकाया नहीं जा सकता और न ही उन्हें अपमानित किया जा सकता है.
युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है.कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता. उनकी अपने देश की जनता के सामने नुमाइश नहीं कर सकता है. इसके अलावा युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है. जेनेवा संधि से जुड़ी मुख्य बातें
* इस संधि के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है.
* संधि के तहत उन्हें खाना पीना और जरूरत की सभी चीजें दी जाती है.
* किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता.
* किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर ये संधि लागू होती है.
* संधि के मुताबिक युद्धबंदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता.
* युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्‍म, आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जा सकता

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