Monday, 25 February 2019

कब मिलेगी भारत को पूर्ण आजादी ?

पिछले हजार साल में मंगोलों, अरबो, अफगानों, तुर्कों, आदि ने भारत पर सैकड़ों हमले किये. इन लड़ाइयों में भारत की बहुत ज्यादा जन - धन की हानि हुई. इन लड़ाइयों में हिन्दुस्थानियो को कई बार हार का सामना भी करना पड़ा. इन हमलावरों ने भारत की जनता, भारत की इज्जत और भारतीयों की आस्था पर भयंकर अत्याचार किये.
ज्यादातर भारतीय उन हमलावरों से संघर्ष करते रहे लेकिन कुछ गद्दार भारतीय अपने फायदे के लिए उनसे मिलते भी रहे. जिसके कारण भारत के काफी हिस्से पर उन हमलावरों का कब्जा भी हो गया. लेकिन देशभक्त हमेंशा उस जबरन कब्जे के खिलाफ अत्याचारियों से संघर्ष करते रहे और समय समय पर काफी हिस्से उनसे वापस आजाद कराते रहे.
अभी इस समस्या से ही पार नहीं पा पाए थे कि - अंग्रेजों के रूप में एक और भयंकर समस्या भारत में आ गई. देखते ही देखते कुछ ही समय में अंग्रेजों ने सारे भारत पर कब्जा कर लिया. तब कही जाकर हिन्दुस्थानियो को होश आया. तब हिन्दुस्थानियों ने उन विदेशियों से भारत को आजाद कराने की खातिर फिर से एक भीषण संघर्ष प्रारम्भ किया.
1857 के पहले संघर्ष में तो वो मुस्लिम लोग भी, अंग्रेजों से सघर्सं में हिन्दुओं के साथ हो गए क्योंकि उनको उम्मीद थी इससे उनको अपनी रियाश्तें फिर से वापस मिल जायेंगी. 1857 में अंग्रेजों से सभी लोग लड़ रहे थे लेकिन उन सभी का उद्देश्य केवल अपनी अपनी रियासतों का आजाद कराना था, पूरे देश से उनको कोई ख़ास ज्यादा मतलब नहीं था.
अंग्रेज भारत के दुश्मन थे लेकिन हिन्दुस्थान पर अरबो, अफगानों, तुर्कों, आदि ने भी कोई कम जुल्म नहीं किये थे. देश के लोग सभी विदेशी हमलावरों से पूर्ण आजादी चाहते थे. इधर उस प्रथम स्वाधीनता संग्राम के असफल हो जाने के बाद ज्यादातर मुस्लिम्स ने सोचा कि - अंग्रेजों से आजादी के बाद हिंदुस्थानी फिर से अपने देश के मालिक बन जायेंगे.
इसलिए दुसरे स्वाधीनता संग्राम के समय, आजादी की लड़ाई में शामिल होने के बजाय, वो अपने लिए अलग भूभाग (पापिस्तान) की मांग करने लगे. इस चक्कर में उन लोगों ने कई जगह दंगा फसाद भी किया. अब देशभक्तों के सामने दोहरी समस्या थी. एक अंग्रेजों को देश से निकालना तथा दुसरी दंगा फसाद से देश और देशवाशियों को बचाना.
हिन्दुओं अंग्रेजों को निकालने का सघर्ष जारी रखा और उन अरबो, अफगानों, तुर्कों, आदि के अत्याचार को भी भुला दिया और उनको उनकी आवादी के हिसाब से भी ज्यादा जमीन देना मंजूर कर लिया, ताकि रोज-रोज का झगडा ख़त्म हो जाए. मगर यहाँ भी कुछ लोगों ने अपने आपको महान आत्मा दिखाने के चक्कर में देश के साथ धोखा कर दिया.
मुसलमानों को अलग देश पपिस्तान दे दिया लेकिन हिन्दुओं को हिन्दुस्थान नहीं दिया. यूं तो सभी विदेशियों हमलावरों से भारत को पूर्ण आजादी मिलनी चाहिए थी लेकिन अगर आपने काफी समय से देश में रह रहे लोगों को, उनके किये गए अत्याचारों को भुलाकर, अपने देश में हकदार मान भी लिया, तो बंटबारा तो न्यायपूर्ण होना चाहिए था.
जो लोग साथ नहीं रह सकते हो उनको अलग अलग कर देना बुद्धिमानी है. लेकिन बंटबारा करते समय, झगडालू को उसका हिस्सा देने के बाद भी अपने हिस्से में रहने देना, सद्भावना नहीं बल्कि मुर्खता थी. उन्होंने तो अपना हिस्सा ले लिया और आप आज भी कश्मीर, केरल, मालदा, गोधरा, मेरठ, मुरादाबाद, भागलपुर, अलीगढ़ और कैराना में उलझे हैं.

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