इस्लामी हम्लाबरों ने भारत पर हमला कर, भारत में अवैध कब्ज़ा किया था. भारत के हिन्दुओं की हत्या कर, उनकी संपत्ति पर कब्ज़ा कर लिया था. कई इलाकों में उनका शासन भी हो गया. जैसे जैसे मुस्लिम्स की संख्या बढ़ती चली गई, उन्होंने कुछ जमीने अपने सामाजिक कार्यों कब्रिस्तान, मस्जिद, मदरसे, आदि के लिए आरक्षित कर दी.
इस जमीन को बक्फ की जमीन कहा जाता था. इस जमीन का इस्तेमाल इस्लामी सामाजिक और धार्मिक कार्य के लिए ही हो सकता था. इस्लामी और अंग्रेजी शासन में भी यह जमीन समस्त भारतीय भूभाग का बहुत छोटा सा हिस्सा थी, लेकिन 1947 में आजादी के बाद यह बेतहाशा बढ़ गई, इसका कारण नेहरु की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति थी .
देश की अंग्रेजों से आजादी के समय भारत का, हिन्दू / मुस्लिम के नाम पर बंटबारा हो गया. बंटबारे में लाखों हिन्दू/सिक्ख अपनी जमीन जायदात पापिस्तान में छोड़कर भारत में शरणार्थी बनकर आये. इसी तरह लाखों मुसलमान भी भारत को छोड़कर पापिस्तान गए. पापिस्तान ने हिन्दुओं / सिक्खों की जमीन में से उनको जमीन और मकान दिए गए.
परन्तु भारत में नेहरु / गांधी ने महात्मागिरी दिखाते हुए, मुसलमानो द्वारा छोडी गई जमीन और मकान, विस्थापित होकर आये हिन्दुओं / सिक्खों को देने से इनकार कर दिया. नेहरु ने उसको "बक्फ" की सम्पत्ति घोषित कर दिया. हिन्दू महासभा, आरएसएस के अलावा बहुत से कांग्रेसी भी चाहते थे कि - ये विस्थापितों को मिले. मगर नेहरु नहीं माने.
हिन्दू महासभा, आरएसएस और आर्य समाजी नेताओं के साथ साथ पंजाब, दिल्ली, बंगाल, महाराष्ट्र, की अनेको संस्थाओं ने सरकार से मांग की, कि- पापिस्तान से विस्थापित होकर आये लोगों को उस जमीन में से रहने और काम करने लायक जगह दी जाए, लेकिन गांधी और नेहरु टस से मस नहीं हुए. इसी बीच गांधी की ह्त्या हो गई.
गांधी की ह्त्या का बहाना बनाकर नेहरु ने आरएसएस पर प्रतिबन्ध लगा दिया तथा हिन्दू महासभा के अनेकों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. जो लोग स्वतंत्र रूप से जमीन के लिए आवाज उठा रहे थे उनमे से भी कईयों को आरएसएस तथा हिन्दू महासभा का एजेंट कह कर गिरफ्तार करवा दिया और विस्थापितों को जमीन देने की मांग को ठुकरा दिया.
एक वेवसाईट के अनुसार पूरे भारत में लगभग 12 लाख एकड़ जमीन बक्फ बोर्ड के पास है. देश में करीब 3 लाख अचल संपत्तियाँ "वक्फ संपत्ति" के रूप में पंजीकृत हैं, जिनका अनुमानित मूल्य लगभग 12 लाख करोड़ रूपय है. इस सम्पत्ति का कहाँ और कैसे इस्तेमाल होता है इसका जाबाब तो जानकार लोग ही दे सकते हैं.
मेरा देशवाशियों से आग्रह है कि - हम सरकार से मांग करें कि- बक्फ बोर्ड को भंग कर इस संपत्ति को इस्लामी संपत्ति के बजाय राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाए. बैसे तो आपने जब बंटबारा कर ही दिया था और एक हिस्से को पापिस्तान बना दिया गया था, तो दुसरे हिस्से को तो अपने आप हिन्दुस्थान घोषित करना ही चाहिए था.
अगर अपने आपको महान-आत्मा साबित करने के चक्कर में आपने ऐसा नहीं किया, तो भी कोई बात नहीं कम से कम, भारत में अपनी जमीन - जायदात छोड़कर गए मुसलमानो की जमीन पर पापिस्तान से विस्थापित होकर आये हिन्दुओं / सिक्खों को बसाना चाहिए था. उस समय अगर यह काम नहीं किया, तो कम से कम आज यह काम करना चाहिए.
आज हमारे देश में करोड़ों, गरीब, दलित और पिछड़े, भूमिहीन मजदूर है जो अत्यंत गरीबी और मजबूरी का जीवन जी रहे हैं. उन गरीबो / दलितों / पिछड़ों को भी इसमें से जमीन बांटी जानी चाहिए. इस बिषय पर सोंच बिचार कीजिए और अगर उचित लगे तो शेयर करके इस पोस्ट को आगे बढ़ाइए, ताकि किसी जिम्मेदार व्यक्ति तक यह बात पहुँच सके.
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