देश आजाद होते समय अनेकों जटिलताये थी. अंग्रेजों ने एक चाल के तहत ऐसी व्यवस्था की थी कि - जिनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं था वो राजा, कांग्रेस के नेता और अंग्रेज मिलकर यह निर्धारित करेंगे कि - भारत क्या स्वरूप होगा. जिनके कारण आजादी मिली थी उन क्रांतिकारियों को दरकिनार कर दिया गया था.
वो तो कहिये कांग्रेस में भी एक राष्ट्रवादी सरदार पटेल थे, जिन्होंने राजाओं को समझाकर / धमकाकर भारत में विलय के लिए राजी कर लिया. उन राजाओं को भी पता था कि - अगर उन्होंने कुछ गड़बड़ की तो उनकी प्रजा बगावत कर देगी. ज्यादातर रियासतों का विलय आसानी से हो गया लेकिन कुछ राज्यों में समस्या बनी रही.
तब उस समय स्थिति को सम्हालने के लिए संविधान में आर्टिकल 370 और आर्टिकल 371, जैसे कुछ प्रावधान किये गए. इन आर्टिकल से जम्मू -कश्मीर , हिमाचल, नागालैंड, आदि जैसे कुछ राज्यों को कुछ विशेषाधिकार दिए गए. इसके अलावा, कई बर्ष बाद में आजाद होने वाले गोवा आदि को भी विशेषाधिकार दिए गए.
इसके अलावा बाद में राज्यों का निर्माण करते समय कहीं भाषा के आधार पर, तो कहीं भौगोलिक स्थति के आधार पर राज्यों का निर्माण किया जाने लगा. राज्य स्तरीय पार्टियों ने अपने राजनैतिक लाभ के लिए राष्ट्र के बजाय राज्य राज्य की बात कर देश को कमजोर करने का काम किया और आज भी कर रहे हैं.
अब समय आ गया है कि - संविधान की विघटनकारी धाराओं को समाप्त किया जाए और राज्यों का पुनर्गठन किया जाए. सम्पूर्ण "भारतबर्ष" को एक संप्रभुतासंपन्न राष्ट्र घोषित कर, राज्य को केवल प्रशासन का विकेंद्रीकर्ण करने की इकाई मात्र माना जाए, प्रत्येक प्राकतिक संसाधन पर प्रत्येक नागरिक का हक़ हो.
मुख्यमंत्री अपने आपको अपनी रियाशत का राजा समझने के बजाय, केवल उस क्षेत्र का प्रतिनिधि समझे. अपने राज्य से गुजरने वाली नदी को वहां के नेता अपनी निजी संपत्ति समझने की भूल न करें. देश समस्त नदियों को आपस में जोड़कर पूरे भारत में पानी पहुंचाकर बाढ़ / सूखे का स्थाई हल किया जाए.
जाती / धर्म / क्षेत्र / लिंग / भाषा आदि के आधार पर भेदभाव करने वाले प्रावधानों को संविधान से निकालकर, सबको एक समान माना जाए. इनके आधार पर किया जाने वाला भेदभाव समाप्त किया जाए. शिक्षा / चिकित्सा / सुरक्षा / न्याय को पूरी तरह निशुल्क तथा पारदर्शी किया जाए. इसके लिए अलग से कोई टैक्स लगाया जा सकता.
देश आजाद होते समय जल्दबाजी और अनुभवहीनता के कारण, नियम बनाते बहुत सारी कमिया रह गई थी जिनके कारण निरंतर विवाद / झगड़े / दंगे होते रहते हैं. अब आजादी के 70 बर्षो के अनुभव का सिंहावलोकन करके, नए सिरे से राज्यों का पुनर्गठन, नए नियम बनाने, नई व्यवस्थाये, आदि की आवश्यकता है.
No comments:
Post a Comment