Sunday, 25 February 2018

"चंद्रमुखी" की "चांदनी". अब "चाँद के टुकड़े" में नहीं, तारों में दिखेगी










"चंद्रमुखी" की "चांदनी". अब "चाँद के टुकड़े" में नहीं, तारों में दिखाई देगी 
किसी के हाथ न आयेगी यह लड़की क्योंकि हवा में विलीन हो गई "हवा हवाई'
बालीबुड की "सल्तनत" पर बरसों राज करने वाली "रूप की रानी" नहीं रही
इस खबर को सुनकर एक "लम्हे" को तो विशवास भी नहीं हुआ.
शायद ही कोई ऐसा "हिम्मतवाला" या "जांबाज" उनका फैन होगा,
जिसे यह दुखभरी खबर सुनकर "सदमा" न लगा हो
बाल "कलाकार" के रूप में "जूली" फिल्म से फिल्मो से शुरुआत की
उनके "सोलहवा सावन" पार करते, ही फिल्मो को एक "नगीना" मिल गया.
"चाँद के टुकड़े" ने खूबसूरती की, ऐसी "चांदनी" बिखेर दी कि.
"इंसान जाग उठे" और "फ़रिश्ते" भी दीवाने हो गए.
उस पर उनका अथक "कर्म" तो "सोने पर सुहागा" ही था
जिसके दम पर उन्होंने, बेहतरीन फिल्मो का "तोहफा" दिया
इस "अक्लमन्द" हीरोइन ने, अपनी "हिम्मत और मेहनत" के बल पर
ऐसा "हल्ला बोल" दिया कि- फिल्मो में "इन्कलाब" सा आ गया.
"खुदा गवाह" है कि पहले कभी हीरोइन को इतना "लाडला" नहीं माना गया.
इस "शेरनी" के आगे बड़े बड़े "मि.इण्डिया" भी, "मिस्टर बेचारा" दिखाई देते थे.
तभी अचानक "नया कदम" उठाते हुए, वे शादी कर "सुहागन" बन गई
और फिल्मो को छोड़कर यह "चन्द्रमुखी" अपने "घरसंसार" में रम गई
अब उन्होंने अपनी "औलाद" के लिये, "माम" का फर्ज निभाना ही
अपने जीवन का "मकसद" बना लिया और फिल्मो को छोड़ दिया.
उनकी अचानक हुई मौत पर इतनी चर्चा को देखकर, कुछ "पत्थर के इंसान"
ऐसे चिढ रहे हैं जैसे वो फिल्मो में अभिनय करके "गैर कानूनी" काम करती थी
मैंने सोंच लिया है कि- ऐसे "गुमराह" लोगों को भी, "जबाब हम देंगे"
देखते हैं किसकी "मजाल" है जो इस पोस्ट पर आकर कोई उनके खिलाफ बोले
मुझे तो विस्वास ही नहीं हुआ कि - वो इतनी जल्दी "आख़िरी रास्ते" पर चली जायेंगी
मुझे "इंग्लिश विंग्लिस" तो आती नहीं, इसलिए हिंदी में ही ये "नजराना" पेश कर रहा हूँ.

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