Sunday, 4 February 2018

चित्तौड़गढ़ : भाग-5 ( खिलजी वंश का अंत )

सुलतान बनने के बाद, अलाउद्दीन ने 1297 में विशाल सेना लेकर गुजरात पर बड़ा हमला किया. अलाउद्दीन ने अपने इस हमले में गुजरात को लूटा, औरतों को उठाया, सोमनाथ के मंदिर सहित हजारों मंदिरों को ध्वस्त किया. गुजरात के राजा कर्णसिंह बाघेल को युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा और वो युद्ध के मैदान से वापस महल तक नहीं जा सके.
खिलजी ने गुजरात में चारों तरफ सेना को इस तरह फैला दिया कि- राजा कर्णसिंह किसी भी प्रकार से अपने परिवार तक न पहुँच सके. तब राजा कर्णसिंह ने खिलजी के पुराने शत्रु देवगिरि के राजा रामचन्द्र देव के यहाँ शरण ली. उनकी रानी कमला देवी अपनी बच्ची देवल देवी को साथ लेकर कई दिन तक छुपती रही, मगर खिलजी ने उनको ढूंढ निकाला.
गुजरात की हजारों महिलाओं के साथ खिलजी उनको भी बंदी बनाकर ले गया. वहां उसने रानी कमलादेवी को निकाह के लिए मजबूर किया और उनका धर्मपरिवर्तन कराकर "मल्लिका जहाँ" नाम रख दिया. इन्ही कमला देवी उर्फ़ मल्लिका जहाँ ने 1303 में "राणा रत्नसेन" को खिलजी की कैद से निकलने में मदद की थी.
1303 में चित्तौड़ पर कब्ज़ा परन्तु पद्मावती को पाने में असफल रहने के बाद खिलजी, अपने बेटे खिज्रखान को चित्तौड़ में छोड़कर खुद, मालिक काफूर के साथ दिल्ली आ गया. हरम में सैकड़ों स्त्रीयां होने के बाबजूद, वह मालिक काफूर के साथ ही समलैंगिक सम्बन्ध रखता था. खिज्रखान ने चित्तौडगढ़ का नाम "खिजराबाद" रख दिया.
खिलजी ने भारत के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया. उसने जिस राज्य को भी जीता, वहां लोगों को लूटा, औरतों को उठाया और मंदिरों का विध्वंस किया. वह लूट के माल का बड़ा हिस्सा अपनी सेना पर खर्च करता था, जिससे वह और बड़े इलाके को जीत सके. उसने दक्षिण में काफी दूर तक अपनी शक्ति का विस्तार कर लिया था.
खिलजी ने हरिद्वार और अयोध्या को भी विधवंस करने का प्रयास किया परन्तु नागा योद्धाओं ने हरिद्वार से और नाथ योद्धाओं ने अवध से, खिलजी की सेना को भागने पर मजबूर कर दिया. कुम्भ मेले में नागाओं को सबसे पहले स्नान का अधिकार देने की परम्परा तथा पूर्वांचल में नाथों को खिचडी खिलाकर सम्मान देने की परम्परा तभी शुरू हुई.
1314 के बाद अलाउद्दीन अस्वस्थ रहने लगा.विकृत यौन संबंधों के कारण वह गुप्त रोग का शिकार हो गया था. 2 जनवरी 1316 में अलाउद्दीन की म्रत्यु हो गई. मालिक काफूर ने खिलजी के एक 6 बर्षीय पुत्र "उमर" को सुलतान बना दिया और खिलजी की पहली पत्नी "मेहरुन्निशा" से निकाह कर लिया, जिससे वह सत्ता पर काबिज हो सके.
सत्ता पर मालिक काफूर का कब्ज़ा होते देख, खिज्रखान चित्तौड़ को अपने मंत्री मालदेव के हवाले कर दिल्ली आ गया. लेकिन मालिक काफूर ने उसको अन्धा कर कैद में डाल दिया. इसके मात्र 35 दिन बाद ही अलाउद्दीन के एक अन्य बेटे कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी ने, मालिक काफूर की हत्या कर दी और खुद उमर खिलजी का संरक्षक बन गया.
कुछ ही दिन बाद उसने उमर को अँधा कर कैद में डाल दिया और खुद सुल्तान बन गया. कुतुबुद्दीन मुबारक ख़िलजी बहुत बहादुर था लेकिन यौन विकृति के मामले में अलाउद्दीन से भी आगे था. उसे नग्न अवस्था में नग्न औरतों और मर्दों के बीच रहना पसंद था. वह अक्सर औरतों के वेश में ही दरबार में भी चला जाता था.
उसने खिलाफत को भी महत्त्व देना बंद कर दिया और खुद को ही खलीफा घोषित कर दिया. इससे तमाम इमाम और अमीर आदि भी उससे नाराज रहने लगे. 15 अप्रैल 1320 ई.को उसके एक बजीर नासिरुद्दीन खुसरों ने उसकी हत्या कर दी और खुद सुलतान बन गया. इस प्रकार खिलजी वंश के मात्र 30 साल के शासन का अंत हो गया,

No comments:

Post a Comment