Sunday, 11 February 2018

राजीव गांधी और कम्प्यूटर क्रान्ति

हमने कई कांग्रेसी मित्रों को अक्सर यह कहते सुना है कि- भारत में कम्प्यूटर राजीव गांधी की बजह से आया. अगर राजीव गांधी नहीं होते तो भारत में कम्प्यूटर नहीं आ सकता था. क्या कोई कांग्रेसी मित्र, चरणबद्ध तरीके से विस्तार से यह बता सकता है कि - राजीव गांधी ने भारत में कम्प्यूटर का कैसे विकास और विस्तार किया ?
क्या कोई बताना चाहेगा या फिर अपने पूर्वजों के रास्ते पर चलते रहेंगे ? जैसे आपके बाप दादा यह गाते रहे कि - गांधीजी ने "बिना खड्ग बिना ढाल के देश को आजाद करा दिया था" लेकिन जब उनसे पूंछते कि - कैसे कराया तो बगले झाँकने लगते थे. नेहरु को महान बताते थे लेकिन जब आजाद / बोस का जिक्र करते तो वे खामोश हो जाते.
इंदिरा की तारीफ में कसीदे पढ़ते कि- इदिरा ने बंगलादेश बनाया. लेकिन इस पर चुप हो जाते हैं कि- 3 दिसंबर 1971 तक इंदिरा पूर्वी पापिस्तान में कार्यवाही के खिलाफ थी और पापिस्तान के भारत पर हवाई हमले (आप्रेसन चंगेज खान) के बाद जनरल मानेकशा ने कहा था कि- सैन्य कार्यवाही की घोषणा कीजिए वर्ना तख्ता पलट देंगे.
राजीव गांधी की कम्प्यूटर क्रान्ति के बारे में कुछ बताएँगे या यह भी "बिना खड्ग बिना ढाल" वाले गीत की तरह ही चलता रहेगा. बैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं देश में कम्प्यूटर के किसी भी क्षेत्र में ( साफ्टवेयर हार्डवेयर) में किसी सरकारी कम्पनी का कोई विशेष योगदान नहीं रहा. इसमें सभी काम ज्यादातर निजी कम्पनियों ने किये हैं
टाटा ग्रुप ने "टाटा कन्सलटेनसी सर्विस" की स्थापना 1968 में और नरेंद्र पाटनी ने "पाटनी कम्प्यूटर सर्विस" की स्थापना 1972 में की थी जिसने 1978 में उत्पादन शुरू कर दिया था. प्रेमजी ने "विप्रो" की स्थापना 1980 में और नारायण मूर्ति ने "इनफ़ोसिस" की स्थापना 1981 में की थी, जबकि राजीव गांधी 1984 में प्रधानमंत्री बने थे.
राजीव गांधी अपनी माँ इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने थे. सहानुभुति के कारण भारी बहुमत मिल जाने के बाबजूद वे अपने कार्यकाल में कुछ ख़ास नहीं कर पाए. वे केवल अपने कुछ चाटुकारों के बीच घिरे रहते थे जिसके कारण पार्टी के अन्दर भी उनके खिलाफ बगावत हो और कई बड़े कांग्रेसी नेता पार्टी को छोड़ गए.
कांग्रेस को छोड़कर उन पूर्व कांग्रेसी नेताओं ने, राजीव गांधी के खिलाफ घोटालों के आरोप लगाए जिससे देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बन गया और अगला आम चुनाव् कांग्रेस बुरी तरह से हार गई और उसके बाद से आजतक अकेले अपने दम पर सत्ता में नहीं आ सकी. इस प्रकार राजीव् के समय में कांग्रेस के पतन की शुरुआत हुई.
राजीव का कार्यकाल सिक्खों के कत्लेआम, भोपाल गैस काण्ड, शाहबानो केस, बोफोर्स घोटाला, रामजन्म भूमि का ताला खोलो आन्दोलन, आदि के लिए जाना जाता है. फिर भी यदि कोई कांग्रेसी मित्र, राजीव की कम्प्यूटर क्रान्ति के बारे में कुछ जानता है और देश को बताना चाहता है तो हम उसका स्वागत करते हैं.

No comments:

Post a Comment