Monday, 2 September 2019

सड़कों पर घूमते बेसहारा जानवर


सड़कों पर घूम रहे जानवर (खासकर गाय) ट्रेफिक और आम आदमी के लिए भारी मुसीबत का कारण बन रहे है. इनके कारण अनेकों लोग और वाहन चालक दुर्घटना ग्रस्त होकर घायल हो चुके हैं या अकाल मौत का शिकार बन चुके है. इन बेसहारा भटकने वाले जानवरों को सड़कों से हटाकर कहीं और व्यवस्थित करने की बहुत जरूरत है.
इनको सड़क से अवश्य हटाना चाहिए लेकिन इसका अर्थ यह हरगिज नहीं है कि - गौभक्षकों को इन्हें मारकर, इनका मांस खाने की इजाजत दे दी जाये, जबकि ज्यादातर गौ-भक्षक जो इनको लेकर अनर्गल प्रलाप करते हैं उनका उद्देश्य केवल इतना ही होता है कि - उनको गौहत्या करने और गौ मांस खाने की इजाजत मिल जाए.
सबसे पहली बात तो यह कि- सड़कों पर घूमने वाली गायों को "आवारा गाय" न कहा जाए बल्कि "बेसहारा गाय" कहा जाए. आवारा का अर्थ होता है- अपना घर छोड़कर बेकार इधर उधर घूमना, जबकि जिसका कोई घर या ठिकाना न हो वो बेसहारा कहलाता है. हमारा कर्तव्य है कि- बेसहारा को सहारा दिया जाए न कि- उसे से जान से मार दिया जाए
हमारे देश में लगभग हर राज्य के जिले में गौ-चर जमीन होती है जिसे गायों के चरने के लिए छोड़ा जाता है, परन्तु इन जमीनों पर नेताओं, सारकारी अधिकारियों और भू-माफियाओं ने कब्ज़ा कर रखा है. सबसे पहले तो उन जमीनों से अवैद्ध कब्ज़ा छुड़ाकर, उस जमीन पर गौशाला बनाी जाए. जहाँ सभी बेसहारा गायों को रखा जा सके.
दुसरी बात, जिस भारतीय मूल की गाय के दिव्य गुणों के कारण उसे "माँ" कहा जाता है, हमें केवल उस देशी गाय को ही संरक्षित करना है. उसके अलावा जितनी भी मिक्स ब्रीड गाये (गाये जैसी दिखने वाली जानवर) हैं. उनको को फिलहाल तो जरूर बचाया जाए लेकिन उनका बंध्याकरण कर दिया जाए, जिससे कि आगे उनकी संख्या न बढे.
गाय के जिस पञ्चगव्य को मनुष्य के लिए लाभदायक माना जाता है वह केवल भारतीय गाय के पञ्चगव्य में होता है. मिक्स ब्रीड या विदेशी नश्ल की गाय का भारतीय परिवेश में कोई महत्त्व नहीं है. ये तो कई जानवरो को मिक्स करके बनाई गई दूध देने वाली मशीन मात्र है. इनका मूत्र और गोबर तो छोड़िये दूध भी हानिकारक होता है.
अब चूँकि ये भी देखने में हमारी गौमाता जैसी लगती है, तो जाहिर सी बात है कि- हम इनको कटने तो नहीं दे सकते लेकिन इनकी संख्या न बढे ऐसे प्रयास अवश्य कर सकते हैं. भारत के लोग सैकड़ों साल से गाय को माँ कहकर संरक्षण देते आ रहे हैं, तो यह गौ-संरक्षण की परम्परा कायम रहनी चाहिए. इसके लिए अलग से बजट भी रखना चाहिए.
गायों को पालने और गौ-शालाओ का खर्च चलाने के लिए, अलग से एक "गौ सुरक्षा टैक्स" लगाया जाना चाहिए, जिससे पर्याप्त गौशालाओ की व्यवस्था की जा सके. गाय भारतीय संस्कृति में बहुत ही सम्मानित जानवर है, हमें भारतीय संस्कृति की रक्षा करने खातिर भारतीय देशी नश्ल की गाय के संरक्षण की समुचित व्यवस्था करनी ही चाहिए।

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