राजस्थान के जैसलमेर जिले में, लोंगोवाला पोस्ट पर हुआ भारत - पापिस्तान का युद्ध, दुनिया के दुर्लभ युद्दों में गिना जाता है. इस लड़ाई में पापिस्तान के 3,000 सैनिकों वाली टैंक ब्रिगेड को, भारतीय सेना के 123 जवानो ने नेस्तनाबूत कर दिया था. इसी घटना पर निर्माता निर्देशक "जे पी दत्ता" ने एक भव्य फिल्म "बार्डर" का निर्माण भी किया था.
पापिस्तान सरकार ने विरोधी नेता "शेख मुजीब्र्रह्मान" को गिरफ्तार पूर्वी पापिस्तान में दमनचक्र चला रखा था. बेकसूरों को मारा जा रहा था महिलाओं का बलात्कार किया जा रहा था, ऐसे में सेना का बिरोध करने वहां "मुक्तिवाहिनी" खड़ी हुई. इसमें बंगाली सैनिक भी शामिल हो गए. भारत सरकार ने भी मुक्तिवाहिनी को अपना समर्थन दे दिया.
भारत को रोकने के लिए पापिस्तान ने भारत को पश्चिम में उलझाना चाहा और 3 दिसंबर 1971 को अचानक भारत के कुछ सैन्य हवाई अड्डों (श्रीनगर, पठानकोट, अम्रतसर, जोधपुर, आगरा, आदि ) पर हवाई हमला कर बम गिराने शुरू कर दिए. इंदिरागांधी ने इसे पापिस्तान का भारत पर आक्रमण घोषित कर, जबाबी युद्ध का ऐलान कर दिया.
पापिस्तान के पास ख़ुफ़िया खबर थी कि - पश्चिम में भारतीय सेना कम है. ऐसे में उसने जैसलमेर पर कब्जा करने की रणनीति बनाई और 4 दिसंबर 1971 की रात को 3,000 सैनिको और टैंक ब्रिगेड के साथ लोंगोवाला चौकी पर हमला बोल दिया. उस समय लोंगोवाला में केवल 123 सैनिक ( 120 पंजाब रेजीमेंट के तथा 3 जवान BSF) मौजूद थे.
लोंगोवाल चौकी के इंचार्ज मेजर "कुलदीप चादपुरी" ने इस हमले की खबर हेडक्वार्टर को दी, तो उनको निर्देश दिया कि- 6 घंटे (सुबह) से पहले हवाई मदद नहीं मिल सकती. आप चाहो तो किसी तरह उनको रोको, नहीं तो वहां से निकलकर रामगढ़ आ जाओ. उन 123 जवानो ने पीठ दिखाकर भागने के बजाय, मुकाबला करने का निर्णय लिया.
भारत के वीरों ने अपनी कुछ साधारण थ्री नाट थ्री राइफलो, 2 MMG, हैण्ड ग्रेनेड और एंटी टैंक माईन्स की सहायता से पापिस्तान की सेना को धराशाई करना शुरू कर दिया. भारतीय सेना ने पपिस्तानियों का किस तरह से मुकाबला किया, यह तो आप सबने "बार्डर" फिल्म में देखा ही है. सेना ने पापिस्तान के सैकड़ों सैनिक मार दिए और 12 टैंक नष्ट कर दिए.
इसे देखकर पापिस्तान सेना ने अपने हेडक्वार्टर को मैसेज दिया कि- हमारी ख़ुफ़िया रिपोर्ट झूठी है, लगता है यहाँ पर कोई बड़ी ब्रिगेड मौजूद है. सुबह होते ही भारतीय वायुसेना भी पहुँच गई और ताबड़तोड़ हमले कर पापिस्तानियों को अपने टैंक छोधकर भागने पर मजबूर कर दिया. भारतीय वायुसेना ने पापिस्तान सीमा में घुसकर भी तांडव मचाया.
पापिस्तान के ब्रिगेडियर तारिक मीर को अपने टैंको, भारी सेना और ख़ुफ़िया रिपोर्ट पर इतना भरोसा था कि - उसने अधिकारियों से कहा था कि- हम 24 घंटे में जैसलमेर पर कब्जा कर लेंगे. उसने अपने सनिकों को बोला था "इंशाअल्लाह हम लोग नाश्ता लोंगोवाला में करेंगे, दोपहर का खाना रामगढ़ में खायेंगे और रात का खाना जैसलमेर में खायेंगे.
हालांकि उसके इस डायलाग को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए फिल्म में कहा गया था "सुबह का नाश्ता जैसलमेर में, दोपहर का खाना जयपुर में और रात का खाना दिल्ली में". इस युद्ध में पापिस्तान के 34 टैंक ( 12 थलसेना द्वारा और 22 वायुसेना द्वारा) सहित 200 वाहन नष्ट हो गए और 500 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे.
सारी दुनिया में ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है जहाँ इतने कम सैनिको द्वारा इतने सारे टैंक नष्ट किये गए हों. पापिस्तान ने तीन दिसंबर को पहला हमला किया था और भारतीय सेना ने 4 दिसंबर को ही लोंगोवाला में करारी मात दी, दुसरी तरफ उसी दिन नौ सेना ने बंगाल की खाड़ी में पापिस्तानी पनडुब्बी "गाजी" को डूबोकर पापिस्तान की कमर तोड़ दी.
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