3 दिसंबर 1971 को पापिस्तान ने भारत के कई शहरों पर अचानक हवाई हमला कर दिया था , जिसको उसने नाम दिया था "आपरेशन चंगेज खान" इस हमले के बाद भारत ने भी पापिस्तान से युद्ध करने की घोषणा कर दी और जबाबी हमले के लिए तैयार हो गया. भारतीय सेना तो पहले से ही तैयार थी उसे तो केवल आदेश का इन्तजार था.
पापिस्तान जिस अमेरिकी पनडुब्बी "पीएनएस गाजी" को अपनी सबसे बड़ी ताकत मान रहा था उस पनडुब्बी को भारतीय सेना के साधारण युद्धपोत "आईएनएस राजपूत" ने 4 दिसंबर 1971 को ही ध्वस्त कर दिया. यह भारत की बहुत बड़ी जीत थी क्योंकि उस समय भारत के पास कोई पनडुब्बी नहीं थी जो उसका मुकाबला करती.
4 दिसंबर 1971 की रात को ही पापिस्तान ने अपनी 3,000 सानिको वाली टैंक ब्रिग्रेड के साथ भारत की पश्चिमी सीमा पर "लोंगोवाला पोस्ट" पर हमला बोल दिया. उस चौकी पर भारत के मात्र 123 सैनिक मौजूद थे जिनके पास हथियारों के नाम पर 2 MMG, कुछ एंटी टैंक माइंस, कुछ हैण्ड ग्रेनेड और बाक़ी थ्री नाट थ्री रायफलें थी.
पापिस्तानी सेना के मुकाबले सैनिक तो बहुत कम थे ही साथ ही उन भारतीय सैनिको के पास जो हथियार थे वो पापिस्तानी सेना के हथियारों के सामने खिलौने के समान थे.लेकिन उन भारतीय सैनिको ने इसकी परवाह किये बिना पापिस्तानी सेना का मुकाबला किया और रात में ही पापिस्तानी सेना के 12 टैंक नष्ट कर दिये.
रातभर वो सैनिक "लोंगोवाला" में पापिस्तानियो को रोके रहे और सुबह होते ही भारतीय वायुसेना अपने "हंटर विमानों" के साथ उनकी मदद को पहुँच गई. हंटर विमानों ने अपनी बमवारी से बाक़ी बचे 22 टैंको को ध्वस्त कर दिया. (लोगोंवाला की इस लड़ाई में थल सेना और वायु सेना का कारनामा, आप फिल्म बार्डर में देख चुके हैं)
हंटर विमानों ने केवल लोंगोंवाला में पापिस्तानी टैंको पर ही बमबारी नहीं की बल्कि पपिस्तान में काफी अन्दर तक घुसकर बमबारी की. हंटर विमानों ने पापिस्तान के उस क्षेत्र में तबाही मचा दी. मजे की बात यह कि - उस हमले के समय पापिस्तानी केवल अपना बचाव ही करते नजर आये जबकि उनके पास हंटर से ज्यादा ताकतवर विमान थे.
4 दिसंबर 1971 की रात को ही भारतीय नौसेना नेे पापिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला बोल दिया. इस हमले को भारतीय नौसेना ने नाम दिया "आप्रेसन ट्राइडेंट". इस हमले में भारतीय नौसेना ने "कराची बंदरगाह" को पूरी तरह से तवाह कर दिया और उसके 3 युद्धपोत डुबो दिए और बाक़ी के युद्धपोत भी किसी काम लायक नहीं छोड़े.
युद्ध के पहले ही दिन भारतीय सेना की वीरता और पापिस्तान की तवाही देखकर, केवल पापिस्तान ही नहीं अमेरिका भी भौचक्का रह गया था. उसको उम्मीद नहीं थी कि - उसकी डायल्बो पनडुब्बी (गाजी), पैटर्न टैंक, और खतरनाक युद्धपोतों का भारतीय सेना यह हाल करेगी. इस प्रकार पहले ही दिन भारतीय सेना पापिस्तान पर हावी हो गई.
इस पोस्ट में जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है यह सभी घटनाएं बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. इसलिए उन सभी घटनाओं पर अलग अलग पोस्ट लिख रहा हूँ. आप सभी से निवेदन है कि उन सभी पोस्ट्स को खुद भी पढ़िए और अपने मित्रों को भी पढ़ाइये. जिससे सभी भारतीय अपनी सेना की वीरता के बारे में जानकर उस पर गर्व कर सकें
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