नाथूराम गोडसे को लेकर आजकल कांग्रेसियों और शांतिधूर्तों ने एक नई झूठी कहानी कहनी शुरू की है कि - गांधी को मारने के बाद नाथूराम गोडसे अपने आपको मुस्लमान साबित करना चाहता था और इसके लिए उसने अपना खतना तक करा रखा था, जिससे कि गांधी को मारने का आरोप मुसलमानो पर डाला जा सके.
पहली बात तो यह कि यह बात सिरे से झूठ है और अभी हाल ही में बनाई गई है क्योंकि अब से कुछ समय पहले तक ऐसा किसी ने नही कहा था. गांधी की हत्या के बाद गोडसे ने न भागने की कोशिश की थी और न ही अपनी पहचान को छुपाया था और गोडसे के चितपावन ब्राह्मण होने के कारण ही कांग्रेसियों ने चितपावन ब्राह्मणो के खिलाफ दंगा किया था
वैसे भी नाथूराम कोई ऐसा नया व्यक्ति नहीं था जिसे कोई जानता न हो. गोडसे सार्वजनिक जीवन जीता था और उसके बारे में सभी जानते थे कि वह एक कट्टर हिंदुत्ववादी है. नाथूराम गोडसे का जन्म 1910 में हुआ था और वह 1930 में कुछ समय संघ का स्वयंसेवक बना. संघ उस समय छोटा और नया संगठन था इसलिए जल्दी ही वह हिन्दू सभा में चला गया.
मुस्लिम लीग द्वारा अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग के बाद , वह 1932 में हिन्दू महासभा का सक्रीय सदस्य बन गया. 1940 में हैदराबाद के निजाम ने हैदराबाद में हिन्दुओं पर "जजिया कर" लगाया, जिसका हिन्दू महासभा ने विरोध किया. हिन्दू महासभा के कार्यकर्ताओं का पहला जत्था नाथूराम गोडसे के नेतृत्व में ही हैदराबाद गया था.
उस समय निजाम ने नाथूराम को उसके साथियों के साथ बन्दी बनाया था. 1942 में उसने अपना खुद का एक नया संगठन "हिंदू राष्ट्र दल" बनाया था. हालांकि जब वह उसे आगे बढ़ा पाने में सफल नहीं हुआ तो फिर से हिंदू महासभा में सक्रीय हो गया. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जब गांधी द्वारा अंग्रेजो का साथ देने के आव्हान किया गया तो उसने बिरोध किया था.
वह एक लेखक और पत्रकार भी था. 1946 में जब मुसलमानो ने डायरेक्ट एक्शन के नाम पर हिन्दुओं के खिलाफ दंगे किये थे, उस समय हिन्दू महासभा के नेता डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और निर्मल चंद्र चटर्जी आदि ने गोपाल पाठा नाम के बाहुवली के साथ मिलकर दंगाइयों से मुकाबला किया था तब भी गोडसे ने उनके समर्थन में लेख लिखे थे
आजादी के बाद हुए बंटवारे के कारण जो हिन्दू पाकिस्तान से भारत आये थे उनके रहने / खाने / कम्बल आदि की व्यवस्था में भी वह लगा रहता था, अर्थात ऐसे कार्यों में भी वह सबकी नजर में रहा होगा. कुल मिलाकर वह लगभग 18 साल से सार्वजनिक जीवन जी रहा था और उसके बारे में ज्यादातर लोग जानते थे कि वह हिन्दू है.
क्या ऐसा व्यक्ति अपनी पहचान छुपा सकता है, जिसकी पहचान को बर्षों से लोग जानते हों ? इसलिए कांग्रेसियों और शांतिधूर्तों की इस नई कहानी के झांसे में आने की जरूरत नहीं है. आप गांधी की हत्या के लिए गोडसे को कोस जरूर सकते हैं लेकिन यह आरोप नहीं गाँधी की हत्या के बाद गोडसे ने अपनी कोई मुस्लिम पहचान बताई थी
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